“इंजीनियरिंग कॉलेज बना मज़ाक! करोड़ों की इमारत पर ‘हिंदी’ की ठोकर”

बस्ती में बन रहे राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के बोर्ड में भारी गलती, ‘राजकीय’ को बना दिया ‘राजकिय’ – अफसरशाही की शिक्षा पर समझ उजागर!

बस्ती | उत्तर प्रदेश में शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करने के नाम पर करोड़ों रुपये बहाए जा रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। बस्ती में लगभग 8 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे ‘भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल इंजीनियरिंग कॉलेज’ का बोर्ड इन दिनों चर्चा का विषय नहीं, तमाशे का कारण बन गया है।

इंजीनियरिंग कॉलेज का बोर्ड बना मज़ाक का विषय, ‘राजकीय’ को बना दिया ‘राजकिय’!

वजह? बोर्ड में ‘राजकीय’ शब्द की जगह ‘राजकिय’ लिखा गया है — एक ऐसी गलती जिसे कोई प्राथमिक छात्र भी नहीं करेगा। यह चूक सिर्फ एक टाइपो नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही और अफसरशाही की औपचारिकता से भरी कार्यसंस्कृति का शर्मनाक उदाहरण है।

जहां सरकार युवाओं को उच्च तकनीकी शिक्षा देने का दावा कर रही है, वहां की बुनियादी भाषा और शब्दों में अज्ञानता न सिर्फ हास्यास्पद है, बल्कि संस्थान की साख पर भी धब्बा है।

शिक्षा का मंदिर बनने जा रहा यह कॉलेज अब खुद व्याकरण की गलती का बोर्ड बन गया है। CNDS विभाग के इंजीनियरों और अधिकारियों की हिंदी पर पकड़ क्या है – ये इस ‘राजकिय’ बोर्ड ने खोलकर रख दिया है।

📌 तीखे सवाल:

  • क्या करोड़ों की योजना पर काम कर रहे अधिकारियों की निगरानी बस ‘ठेकेदार’ के भरोसे है?

  • क्या बोर्ड लगाने से पहले कोई पढ़ने वाला नहीं था?

  • क्या यही है गुणवत्ता और मानव संसाधन विकास की सरकारी समझ?

🔍 मीडिया के उठते सवालों के बाद प्रशासन हरकत में आया है, लेकिन सवाल ये है — इतनी बुनियादी गलती को रोकने वाला कौन था?

“जहां पढ़ाई शुरू भी नहीं हुई, वहां भाषा पहले ही फेल!”
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