लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी मंगलवार को शिक्षकों के गगनभेदी नारों से गूंज उठी। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर हजारों शिक्षकों ने सड़क पर उतरकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों को दो वर्ष के भीतर टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करने की बाध्यता के खिलाफ विरोध दर्ज कराया।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह आदेश पहले से कार्यरत शिक्षकों के लिए बेहद कठोर है और इससे उनकी नौकरी असुरक्षित हो जाएगी। उन्होंने भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से कानून में संशोधन कर 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की मांग की है।
ज्ञापन सौंपा गया
इस विशाल प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने एकजुट होकर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राकेश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में साफ तौर पर मांग की गई कि कोर्ट के आदेश को लागू न किया जाए और पहले से नियुक्त शिक्षकों को स्थायी सुरक्षा प्रदान की जाए।
नेताओं और पदाधिकारियों की मौजूदगी
इस मौके पर संघ के जिला अध्यक्ष सुधांशु मोहन, जिला मंत्री वीरेंद्र सिंह, कोषाध्यक्ष फहीम वेग, माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री डॉ. नरेंद्र वर्मा, प्रवक्ता डॉ. आर.पी. मिश्रा, और जिला अध्यक्ष डॉ. आर.के. त्रिवेदी सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। विभिन्न ब्लॉकों से आए शिक्षकों और पदाधिकारियों ने इस आंदोलन को मजबूती देने का संकल्प लिया।
आगे की रणनीति
प्रांतीय उपाध्यक्ष सुधांशु मोहन ने घोषणा की कि यह सिर्फ शुरुआत है। जल्द ही सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन, प्रदेश स्तर पर विशाल रैली और अखिल भारतीय स्तर पर भी आंदोलन किया जाएगा। उनका कहना है कि यह संघर्ष शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा और न्याय दिलाने के लिए है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार और न्यायपालिका उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करती।
👉 यह प्रदर्शन स्पष्ट संकेत देता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश स्तर पर शिक्षकों का आंदोलन और तेज़ हो सकता है।