सपा विवाद: निष्कासित विधायक पूजा पाल का रागिनी सोनकर पर पलटवार, पिता की विरासत से विधायक बनने का लगाया तंज

समाजवादी पार्टी (सपा) में हाल ही में हुए घटनाक्रम ने पार्टी के भीतर विवाद और खींचतान को खुलकर सामने ला दिया है। चायल से विधायक पूजा पाल, जिन्हें सपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था, अब पार्टी नेताओं पर सीधा हमला बोल रही हैं। इस बार उनका निशाना बनीं मछलीशहर सीट से सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर

दरअसल, जब मीडिया ने रागिनी सोनकर से पूजा पाल के निष्कासन पर सवाल पूछा, तो उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा – “कौन पूजा पाल? पूजा पाल किस पार्टी में हैं? अच्छा हुआ आपने बताया, क्योंकि मुझे पता नहीं था।” इतना ही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि पूजा पाल ने सपा के भरोसे चुनाव जीतकर बाद में पार्टी को धोखा दिया। रागिनी के मुताबिक, जब जनता और पार्टी को उन पर भरोसा था, तब उन्होंने विश्वासघात किया, और पार्टी को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी।

रागिनी सोनकर के इस बयान के बाद, पूजा पाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (X) पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा – “किसी ने पूछा है पूजा पाल कौन? पिता की विरासत से विधायक बनने वालों को जवाब देना मेरे लिए जरूरी नहीं, क्योंकि जब मैं कोर्ट-कचहरी में न्याय के लिए भागदौड़ कर रही थी, तब ये लोग अपने पिता की एंबेसेडर से बड़े कॉलेज में पढ़ाई करने जा रहे थे। ऐसे लोगों को संघर्ष का मूल्य क्या पता होगा।”

पूजा पाल ने खुद को पीडीए (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) की पीड़ित महिला बताते हुए कहा कि उन्होंने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, जबकि कुछ लोग उसी “माफिया” के घर बैठकर चाय पानी कर रहे थे। उनके इस बयान में यह साफ झलकता है कि वह अपने संघर्ष को एक राजनीतिक पूंजी के रूप में पेश कर रही हैं और रागिनी सोनकर के राजनीतिक सफर को परिवारिक विरासत से जोड़ रही हैं।

पूजा पाल के निष्कासन की पृष्ठभूमि भी विवादास्पद रही है। विधानसभा सत्र के दौरान, उन्होंने विजय डॉक्यूमेंट पर बोलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर प्रशंसा की थी। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता और पार्टी लाइन से हटकर बयान देने के रूप में देखा और तुरंत प्रभाव से उन्हें निष्कासित कर दिया।

यह पूरा मामला न सिर्फ सपा की अंदरूनी राजनीति को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में व्यक्तिगत टिप्पणियां, पारिवारिक पृष्ठभूमि पर हमले और सार्वजनिक मंचों पर बयानबाज़ी किस हद तक बढ़ चुकी है। जहां पूजा पाल खुद को संघर्ष की उपज मान रही हैं, वहीं रागिनी सोनकर उनकी राजनीतिक निष्ठा पर सवाल उठा रही हैं।

इस विवाद ने सपा के भीतर गुटबाजी, अनुशासन और नेताओं के सार्वजनिक व्यवहार पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि यह बहस यहीं खत्म होती है या आने वाले दिनों में और तीखी होती है।