औलाद की तरह पाला है: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से भावुक हुए डॉग लवर्स

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर अपने पुराने आदेश में अहम बदलाव करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। अब देशभर में सभी कुत्तों को नसबंदी (Sterilisation) और टीकाकरण (Immunisation) के बाद उनके ही इलाके में छोड़ा जाएगा। हालांकि, जो कुत्ते रेबीज़ से संक्रमित पाए जाएंगे या फिर जिनकी प्रवृत्ति आक्रामक और हिंसक है, उन्हें सड़कों पर छोड़ने के बजाय विशेष शेल्टर होम्स में रखा जाएगा

कोर्ट ने साफ किया कि यह नियम पूरे देश में लागू होगा और इससे जुड़े सभी लंबित मामले सुप्रीम कोर्ट के पास ट्रांसफर कर दिए गए हैं। साथ ही, एमसीडी और अन्य नगर निकायों को निर्देश दिया गया कि हर वार्ड में कुत्तों के लिए अलग फीडिंग जोन बनाए जाएं। यानी अब सार्वजनिक जगहों या सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित रहेगा और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई होगी।

डॉग लवर्स का संघर्ष और जीत

दिल्ली के जंतर-मंतर पर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे डॉग लवर्स ने इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया।

  • कई लोग बातचीत के दौरान इतने भावुक हुए कि उनकी आँखों में आँसू आ गए।
  • एक महिला ने कहा: “हम बहुत सच्चाई से रोड पर उतरे थे, आज हम जीत गए। ज्यादा बोलूंगी तो रो पड़ूंगी। हमने इन्हें औलाद की तरह पाला है।”
  • दूसरी महिला बोलीं: “हम रेबीज़ डॉग्स को पकड़वाने में मदद करेंगे, लेकिन मासूम और स्वस्थ कुत्तों को नहीं जाने देंगे। हम जिम्मेदारी उठाएंगे।”
  • एक अन्य महिला ने खुलासा किया: “पिछले 10 दिन से हमने खाना नहीं खाया, नींद नहीं ली। मेरे घर पर खुद 15 रेस्क्यू डॉग्स हैं। हम बस चाहते थे कि ये हमारे पास ही रहें।”

मेयर का बयान और प्रशासनिक तैयारी

दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा:

  • “यह बहुत अच्छा फैसला है और हम इसे 100% लागू करेंगे।”
  • “खतरनाक और आक्रामक कुत्तों को अलग रखा जाएगा, लेकिन बाकी कुत्तों को नसबंदी और इलाज के बाद छोड़ा जाएगा।”
  • “जनता को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। हम सब कुत्तों से प्यार करते हैं।”

डॉग लवर्स क्यों हुए भावुक?

डॉग लवर्स लंबे समय से मांग कर रहे थे कि:

  1. कुत्तों को शेल्टर होम्स में कैद न किया जाए।
  2. नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उनके क्षेत्र में छोड़ा जाए।
  3. एमसीडी और नगर निगम शेल्टर होम्स को बेहतर और कार्यशील बनाए।

उनका कहना है कि कुत्तों को इंसानों की तरह ही देखभाल की जरूरत है। कई परिवार ऐसे हैं जो सैकड़ों कुत्तों को अपने पैसों से बचाकर पाल रहे हैं। ऐसे में कोर्ट का यह फैसला उन्हें न्याय और राहत की तरह मिला।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि समाधान संतुलन में है

  • इंसानों की सुरक्षा के लिए आक्रामक और संक्रमित कुत्तों को अलग किया जाएगा।
  • वहीं, मासूम और स्वस्थ कुत्तों को उनका प्राकृतिक आवास नहीं छोड़ा जाएगा।

डॉग लवर्स इसे अपनी भावनाओं और संघर्ष की जीत मान रहे हैं। अब असली चुनौती नगर निकायों के सामने है कि वह इस आदेश को कितनी गंभीरता से और कितनी तेजी से लागू करते हैं।

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