उत्तराखंड के काशीपुर से शुरू होकर बिजनौर और मुरादाबाद तक फैली, जहां एक 15 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर किशोरी के साथ अपहरण, दुष्कर्म और फिर निर्मम हत्या की गई। यह मामला समाज में बच्चों, खासकर कमजोर वर्ग की लड़कियों के प्रति बढ़ते अपराधों और क्रूरता को उजागर करता है। पुलिस ने इस जघन्य अपराध में दो महिलाओं समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, और जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
घटना का क्रम:
अपहरण (10 सितंबर):
- पीड़िता, एक 15 वर्षीय किशोरी, बिजनौर के शेरकोट से अपने परिवार के साथ काम की तलाश में काशीपुर (उत्तराखंड) आई थी। वह मानसिक रूप से कमजोर थी और उसे मिर्गी के दौरे पड़ते थे, जिसके कारण वह आसानी से अपराधियों का शिकार बन गई।
- 10 सितंबर को वह संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई। परिवार ने डर और सामाजिक दबाव के कारण तुरंत पुलिस में शिकायत नहीं की। 29 सितंबर को किशोरी की मां ने कुंडा थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई।
अपहरण और शोषण:
- जांच में पता चला कि आरोपियों ने किशोरी को बहला-फुसलाकर पहले काशीपुर में एक महिला, शीला के घर पर रखा। इसके बाद उसे बिजनौर और फिर गजरौला (मुरादाबाद) ले जाया गया।
- इस दौरान किशोरी के साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। सभी आरोपी एक ही मकान में अलग-अलग कमरों में रहते थे, जिससे यह संगठित अपराध का मामला प्रतीत होता है।
निर्मम हत्या:
- जब किशोरी ने घर लौटने की जिद की, तो पकड़े जाने के डर से आरोपियों ने उसकी हत्या कर दी। 22 सितंबर को उसका शव मुरादाबाद के कांठ क्षेत्र में एक गन्ने के खेत में फेंका हुआ मिला।
- शव की पहचान कपड़ों और फोटो के आधार पर परिजनों ने की। पोस्टमॉर्टम में दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि हुई।
परिवार पर दबाव:
- आरोपियों ने किशोरी की मां, जो एक कंपनी में काम करती थी, को पुलिस में शिकायत करने पर जुर्माने और अन्य परिणामों का डर दिखाया। यह डर इतना था कि मां ने शुरू में शिकायत दर्ज करने में देरी की।
- कुंडा थाना प्रभारी रवि सैनी ने बताया कि यह डर दिखाने की रणनीति अपराधियों ने सुनियोजित तरीके से अपनाई थी।
पुलिस की कार्रवाई:
- जांच और गिरफ्तारी: मुरादाबाद और काशीपुर पुलिस ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की। गुमशुदगी की शिकायत के बाद पुलिस ने तकनीकी और स्थानीय सूचनाओं के आधार पर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें दो महिलाएं शामिल हैं।
- आरोप: आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
- खुलासा: एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह एक संगठित अपराध था, जिसमें किशोरी को सुनियोजित तरीके से विभिन्न स्थानों पर ले जाया गया और उसका शोषण किया गया।
सामाजिक और कानूनी संदर्भ:
- बढ़ते अपराध: यह घटना बच्चों और कमजोर वर्गों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों और हिंसा का एक और उदाहरण है। हाल के दिनों में, जैसा कि पहले के आपके प्रश्न में उल्लेखित महाराष्ट्र, ओडिशा और दिल्ली के मामलों में देखा गया, बच्चों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले बढ़ रहे हैं।
- पॉक्सो एक्ट: इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है, जो बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करता है। हाल के अन्य मामलों, जैसे ओडिशा में 20 साल की सजा और दिल्ली में जमानत रद्द होने के फैसले, से पता चलता है कि न्यायपालिका इन मामलों में सख्त रुख अपना रही है।
- सामाजिक कमजोरियां: मानसिक रूप से कमजोर बच्चे और प्रवासी परिवार अपराधियों के आसान निशाने बन रहे हैं। इस मामले में किशोरी की मानसिक स्थिति और परिवार की आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाया गया।
