बरेली में एंटी करप्शन विभाग ने बिजली चोरी निरोधक थाने के प्रभारी निरीक्षक अरुण कुमार यादव को ₹5,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान उनकी हालत अचानक बिगड़ गई और हार्ट अटैक की आशंका पर उन्हें निजी अस्पताल के ICU में भर्ती कराया गया है। उनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
यह पूरा मामला पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक और चौंकाने वाली मिसाल के रूप में सामने आया है।
जमानत के लिए संस्तुति—मिली रिश्वत की मांग
भमोरा क्षेत्र के आलमपुर जाफराबाद निवासी सुभाष शर्मा ने एंटी करप्शन थाने में तहरीर दी थी।
उनका कहना था कि—
- बिजली चोरी के एक मुकदमे में उनका और उनके पिता का नाम शामिल है।
- अग्रिम जमानत के लिए पुलिस की संस्तुति जरूरी थी।
- इसी जरूरत का फायदा उठाते हुए इंस्पेक्टर अरुण यादव ने ₹5,000 की रिश्वत मांग ली।
शिकायत की पुष्टि होने पर एंटी करप्शन विभाग ने तुरंत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की।
ट्रैप टीम ने थाने में ही किया गिरफ्तार
एंटी करप्शन थाना प्रभारी प्रवीण सान्याल के निर्देशन में एक ट्रैप टीम गठित की गई।
मंगलवार दोपहर टीम ने सर्किट हाउस के सामने स्थित बिजली चोरी निरोधक थाना पहुंचकर
इंस्पेक्टर अरुण यादव को शिकायतकर्ता से ₹5,000 लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के बाद टीम ने उन्हें कोतवाली लाकर
शून्य अपराध संख्या पर मुकदमा दर्ज कराया।
पूछताछ में तबीयत बिगड़ी—हृदयाघात की आशंका
सूत्रों के अनुसार—
रात में एंटी करप्शन टीम जब उनसे पूछताछ कर रही थी,
इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी।
उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।
वहाँ डॉक्टरों ने हार्ट अटैक की आशंका जताई।
इसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल के ICU में शिफ्ट किया गया,
जहाँ उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
इज्जतनगर स्थित आलीशान घर की भी तलाशी
गिरफ्तारी के तुरंत बाद एंटी करप्शन टीम ने
इंस्पेक्टर अरुण यादव के पास तलाशी ली।
हालाँकि मौके से कोई बड़ा अवैध सामान बरामद नहीं हुआ,
लेकिन टीम ने इज्जतनगर स्थित मकान नंबर–26 की भी तलाशी ली।
सूत्र बताते हैं कि—
- अरुण यादव मूल रूप से सिकंदराराऊ, हाथरस के निवासी हैं।
- बरेली पुलिस में पहले भी कई थानों पर तैनात रह चुके हैं।
- वसूली और अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को लेकर इनके नाम की पहले भी चर्चा होती रही है।
- इज्जतनगर में उन्होंने आलीशान मकान बनवाया है, जहाँ उनका परिवार रहता है।
हालांकि आय से अधिक संपत्ति के बिंदु पर
अभी तक कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई—लेकिन कई सवाल बाकी
इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि
एंटी करप्शन विभाग प्रशासन के भीतर फैले
छोटे से छोटे स्तर के भ्रष्टाचार पर भी कार्रवाई करने को तैयार है।
लेकिन यह भी सवाल उठता है कि—
- क्या रिश्वतखोरी का यह पहला मामला था?
- या इसके पीछे लंबे समय से चल रहा कोई बड़ा नेटवर्क भी है?
जांच आगे बढ़ेगी तो कई और खुलासे होने की संभावना है।
निष्कर्ष
बरेली पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का यह ताजा मामला
कानून-व्यवस्था पर जनता के भरोसे पर गंभीर चोट है।
आरोपी इंस्पेक्टर के ICU में भर्ती होने के बाद
मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
अभी अधिकारी किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से बच रहे हैं,
लेकिन जांच तेजी से जारी है।
