गोवा के कुख्यात “बर्च बाय रोमियो लेन” नाइट क्लब में हुए अग्निकांड के बाद पुलिस लगातार आरोपियों को पकड़ने में जुटी है। इसी कड़ी में बुधवार सुबह दिल्ली क्राइम ब्रांच ने क्लब के तीसरे मालिक अजय गुप्ता को दिल्ली के एक अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी किसी फिल्मी सीन से कम नहीं रही—आगे अजय गुप्ता, पीछे पुलिस!
कैसे हुई नाटकीय गिरफ्तारी?
पुलिस को मंगलवार को जानकारी मिली कि अजय गुप्ता दिल्ली–एनसीआर में मौजूद है।
- वह अपने ड्राइवर के साथ HR नंबर की इनोवा में घूम रहा था।
- दिल्ली पहुंचकर वह लाजपत नगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रेन एंड स्पाइन में भर्ती हो गया।
- शक है कि उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए अस्पताल में भर्ती होने का ‘दांव’ खेला।
लेकिन पुलिस पहले से सतर्क थी—उसका मूवमेंट सोहना से ही ट्रैक किया जा रहा था।
अंततः दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अस्पताल में ही उसे हिरासत में ले लिया।
अब उसे गोवा लाया जाएगा, जहां उससे अग्निकांड को लेकर पूछताछ की जाएगी।
NDTV से बातचीत में गुप्ता ने खुद को “बेकसूर पार्टनर” बताया और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
फरार कौन-कौन है?
क्लब के दो मालिक—सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा—पहले ही थाईलैंड भाग चुके हैं।
DGCA की तरह इंटरपोल की मदद से ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है।
इसके अलावा, एक और संदिग्ध सुरिंदर कुमार खोसला की भी तलाश है।
यह स्पष्ट नहीं है कि वह मालिक है या पार्टनर—but वह इस मामले का अहम किरदार है।
अब तक की गिरफ्तारियां (कुल 6)
- अजय गुप्ता – को-ओनर
- राजीव मोदक – चीफ जनरल मैनेजर
- विवेक सिंह – जनरल मैनेजर
- राजीव सिंघानिया – बार मैनेजर
- रियांशु ठाकुर – गेट मैनेजर
- भरत कोहली – कर्मचारी
2023 में ही हुआ था खुलासा, लेकिन कार्रवाई नहीं…
जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि दिसंबर 2023 में ही क्लब के खिलाफ अरपोरा पंचायत में शिकायत दर्ज हुई थी।
शिकायत में बताया गया था—
- क्लब सॉल्ट पैन एरिया में अवैध रूप से बना है
- डिस्कोथेक का ढांचा “किसी भी वक्त गिर सकता था”
- सीवेज सिस्टम अवैध था और गंदा पानी सीधे नदी में बहता था
- डिस्कोथेक पानी के ऊपर बने प्लेटफॉर्म पर था, बेहद खतरनाक
मार्च 2024 में क्लब को कारण बताओ नोटिस भी दिया गया था और
15 दिनों में अवैध निर्माण हटाने का आदेश मिला था।
लेकिन क्लब मालिक—विशेषकर लूथरा बंधु—ने सब अनदेखा कर दिया।
कार्यक्रम चलते रहे, शराब और धुएं के बीच खतरा बढ़ता गया…
और अंत में हुई वह दिल दहलाने वाली त्रासदी जिसमें कई मासूमों की जान चली गई।
निष्कर्ष: मौत से पहले कई चेतावनियाँ, लेकिन जिम्मेदार कौन?
यह मामला सिर्फ लापरवाही नहीं—बल्कि
प्रशासनिक उदासीनता + मालिकों की गैर-जिम्मेदारी + अवैध निर्माण का घातक मिश्रण
का क्लासिक उदाहरण है।
अब पुलिस तेजी से कार्रवाई कर रही है ताकि भागे हुए आरोपी पकड़े जाएं और पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।
