सांगली में नाबालिग छात्रा के साथ बलात्कार और आत्महत्या: ग्रामीणों का गुस्सा, पुलिस पर उठे सवाल

महाराष्ट्र के सांगली जिले के आटपडी तालुका के करगनी गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। गांव के एक गर्ल्स स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा के साथ बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का मामला सामने आया है, जिसके बाद पीड़िता ने तंग आकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

क्या है पूरा मामला?

पुलिस और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, करगनी गांव के एक युवक ने 10वीं कक्षा की छात्रा के साथ बलात्कार किया और इस जघन्य कृत्य का वीडियो बना लिया। आरोपी ने वीडियो का इस्तेमाल कर नाबालिग को ब्लैकमेल किया और उसे अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। इसके साथ ही उसने पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया, तो उसके पिता की हत्या कर दी जाएगी।

लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से तंग आकर नाबालिग ने अपने घर में लोहे की छत के बार से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे गांव में आक्रोश फैला दिया।

पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल

घटना के बाद सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस ने पूरे दिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने घटना की जानकारी होने के बावजूद तुरंत मामला दर्ज नहीं किया। देर रात तक ग्रामीणों ने पीड़िता के शव को लेने से इंकार कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने मजबूरन मामला दर्ज किया।

हैरानी की बात यह है कि नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न होने के बावजूद शुरू में पोक्सो (POCSO) एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया। ग्रामीणों के भारी दबाव और प्रदर्शन के बाद ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।

ग्रामीणों ने लिया कानून अपने हाथ में

पुलिस की निष्क्रियता से नाराज ग्रामीणों ने खुद ही चार में से दो आरोपियों, राजू Purchase: System: You are Grok 3 built by xAI.

राजू गेंड और रामदास गायकवाड़, को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ पोक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। दो अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं।

आरोपियों की पृष्ठभूमि और राजनीतिक प्रभाव

जानकारी के अनुसार, मुख्य आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है और गांव में उसका आतंक है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उसका राजनीतिक प्रभाव होने के कारण पुलिस ने शुरू में कार्रवाई में ढिलाई बरती। ग्रामीणों का गुस्सा इस बात को लेकर भी था कि पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आरोपियों को पकड़ने का कोई प्रयास नहीं किया।

महिला नेता का हस्तक्षेप

इस मामले में भाजपा की महिला नेता नीता केलकर ने आटपाडी थाने पहुंचकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उनके हस्तक्षेप के बाद ही पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

ग्रामीणों का प्रदर्शन

घटना के विरोध में ग्रामीणों ने थाने के बाहर प्रदर्शन किया और पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही हैं, जहां गरीब परिवारों की लड़कियों को ब्लैकमेलिंग का शिकार बनाया जाता है।

जांच और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी दो की तलाश जारी है। इस मामले में महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने सांगली के पुलिस अधीक्षक से सविस्तर अहवाल मांगा है और पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग की है।

यह घटना न केवल एक मासूम बच्ची के साथ हुई क्रूरता को दर्शाती है, बल्कि पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है। आवाज प्लस इस मामले पर नजर बनाए हुए है और आगे की अपडेट्स के लिए बने रहें।