पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विधानसभा सीट भवानीपुर से करीब 45 हजार वोटरों के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए जाने के बाद सियासत गरमा गई है। इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कड़ा रुख अपनाते हुए चुनाव आयोग के आंकड़ों की खुद जांच करने का फैसला लिया है। पार्टी अब घर-घर जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन करेगी, ताकि किसी भी योग्य मतदाता का नाम सूची से बाहर न रहे।
घर-घर जाकर होगी जांच
मंगलवार को भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद टीएमसी नेतृत्व ने यह निर्णय लिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बूथ लेवल एजेंट (BLA) को निर्देश दिए गए हैं कि वे हटाए गए वोटरों के नामों की जमीनी स्तर पर जांच करें।
पार्टी नेतृत्व ने साफ कहा है कि
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किसी भी सही वोटर का नाम किसी भी हालत में नहीं कटना चाहिए
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हर हटाए गए नाम की फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य होगी
आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक—
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जनवरी 2025 तक भवानीपुर में कुल 2,06,295 वोटर दर्ज थे
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नई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में यह संख्या घटकर 1,61,509 रह गई
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यानी 44,787 वोटरों के नाम काट दिए गए, जो कुल मतदाताओं का करीब 21.7 प्रतिशत है
इतनी बड़ी संख्या में नाम कटने को लेकर टीएमसी ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
किन इलाकों में ज्यादा नाम कटे
भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र कोलकाता नगर निगम के वार्ड 63, 70, 71, 72, 73, 74, 77 और 82 को मिलाकर बना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक—
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वार्ड 70, 72 और 77 में सबसे ज्यादा नाम हटाए गए हैं
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खास तौर पर अल्पसंख्यक बहुल वार्ड 77 पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं
भवानीपुर एक घनी आबादी वाला शहरी इलाका है, जहां उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा से आए लोगों की बड़ी संख्या में आबादी रहती है। टीएमसी का कहना है कि प्रवासी आबादी वाले क्षेत्रों में इतनी बड़ी संख्या में नाम कटना संदेह पैदा करता है।
क्लेम–ऑब्जेक्शन की तैयारी
टीएमसी ने साफ किया है कि वह जल्द ही क्लेम और आपत्ति (Claim & Objection) की प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके तहत—
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प्रभावित वोटरों के साथ स्थानीय नेता खड़े रहेंगे
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दस्तावेज जुटाने और फॉर्म भरने में मदद की जाएगी
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सुनवाई की प्रक्रिया में भी पार्टी सहयोग करेगी
इसके अलावा पार्टी ने “मे आई हेल्प यू” कैंप लगातार चलाने के निर्देश दिए हैं, ताकि मतदाताओं को किसी तरह की परेशानी न हो। जरूरत पड़ने पर वालंटियर घर-घर जाकर भी सहायता करेंगे।
राजनीतिक मायने
ममता बनर्जी की सीट से इतने बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम कटना सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मुद्दा माना जा रहा है। टीएमसी इसे मतदाताओं के अधिकार से जोड़कर देख रही है और आने वाले दिनों में इस पर चुनाव आयोग से सीधी टकराहट भी संभव मानी जा रही है।
निष्कर्ष
भवानीपुर से 45 हजार वोटरों के नाम हटने का मामला अब सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहा। टीएमसी के घर-घर सत्यापन अभियान के बाद यह साफ होगा कि ये नाम तकनीकी कारणों से कटे हैं या इसके पीछे कोई बड़ी गड़बड़ी है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बंगाल की राजनीति में और तेज होने के आसार हैं।
