उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार तड़के हुआ भीषण सड़क हादसा पूरे इलाके को दहला गया। घने कोहरे और बेहद कम दृश्यता के बीच हुए इस दर्दनाक हादसे में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हादसे में कम से कम 15 वाहन शामिल थे, जिनमें यात्रियों से भरी आठ बसें भी थीं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, टक्कर और आग इतनी भयावह थी कि लोगों को लगा “जैसे कोई बम फट गया हो”।
कैसे हुआ हादसा
यह दुर्घटना बलदेव थाना क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे के माइलस्टोन 127 पर सुबह करीब 3:30 से 4 बजे के बीच हुई। पुलिस के अनुसार, घने कोहरे के कारण दृश्यता बेहद कम थी।
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि—
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पहले एक एर्टिगा और एक ब्रेजा कार की आपस में टक्कर हुई
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टक्कर के बाद दोनों कारों में आग लग गई
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पीछे से आ रहे नोएडा की ओर जा रहे अन्य वाहन, जिनमें
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एक सरकारी बस
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सात निजी बसें
शामिल थीं, आग की चपेट में आई कारों से टकरा गईं
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इसके बाद आग तेजी से फैल गई और कई वाहन जलकर खाक हो गए
आग में झुलस गए लोग
बलदेव थाना की एसएचओ रंजना सचान ने बताया कि इस हादसे में 15 लोगों की मौत जलने से हुई है, जबकि दो लोगों ने गंभीर चोटों के कारण दम तोड़ा। कई शव इतनी बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है।
अब तक जिन मृतकों की पहचान हुई है, उनमें—
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प्रयागराज के अखिलेंद्र प्रताप यादव
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महाराजगंज के रामपाल
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गोंडा के सुल्तान अहमद
शामिल हैं।
छह घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया।
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11 दमकल गाड़ियां मौके पर भेजी गईं
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करीब 6 घंटे तक आग बुझाने और बचाव कार्य चला
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जली हुई बसों और कारों को हटाने के लिए क्रेन मंगाई गईं
घटनास्थल की तस्वीरों में बसें और कारें पूरी तरह मलबे में तब्दील नजर आईं।
अधिकारियों ने क्या कहा
मथुरा (ग्रामीण) के एसपी सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि हादसे की मुख्य वजह घना कोहरा और कम दृश्यता है।
एसएसपी श्लोक कुमार ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कोहरे के कारण ड्राइवरों को आगे कुछ दिखाई नहीं दिया, जिससे यह श्रृंखलाबद्ध टक्कर हुई।
जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसे दो दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यह घटना अत्यंत पीड़ादायक है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से—
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प्रत्येक मृतक के परिजनों को ₹2 लाख
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प्रत्येक घायल को ₹50 हजार
की सहायता देने की घोषणा की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शोक व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन को घायलों के बेहतर इलाज के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से भी—
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मृतकों के परिवार को ₹2 लाख
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घायलों को ₹50 हजार
की आर्थिक मदद दी जाएगी।
प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी खौफनाक मंजर
हादसे के वक्त वहां से गुजर रहे भगवान दास ने बताया,
“हमें लगा जैसे कोई बम धमाका हुआ हो। लोग जलती बसों की खिड़कियां तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। चारों तरफ चीख-पुकार मची थी।”
अपनों की तलाश में अस्पतालों के चक्कर
हमीरपुर निवासी गुलजारी लाल अपनी भाभी पार्वती की तलाश में अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पार्वती अपने बच्चों के साथ दिल्ली जा रही थीं। बच्चों ने बताया कि हादसे के वक्त पार्वती ने बस का शीशा तोड़कर बच्चों को बाहर निकाल दिया, लेकिन खुद अंदर फंस गईं।
निष्कर्ष
यमुना एक्सप्रेसवे पर हुआ यह हादसा कोहरे, तेज रफ्तार और सुरक्षा इंतजामों पर एक बार फिर सवाल खड़े करता है। 17 जिंदगियों का यूं चले जाना न सिर्फ प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि आम लोगों के लिए भी कि सर्दियों में सफर करते वक्त अत्यधिक सतर्कता बरतना जरूरी है।
