कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग (Election Commission) पर बड़ा और गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें पुख्ता सबूत मिले हैं कि देश में वोटों की चोरी हो रही है और इसमें सीधे तौर पर चुनाव आयोग की भूमिका है।
राहुल गांधी ने कहा,
“ये हम हल्के में नहीं कह रहे हैं, हमारे पास इसके ओपन एंड शट प्रूफ हैं। हमने खुद छह महीने तक इन्वेस्टिगेशन की है और जो मिला है, वो किसी एटम बम से कम नहीं है। जब ये सच देश के सामने आएगा तो चुनाव आयोग को लोग ढूंढते रह जाएंगे।”
उन्होंने दावा किया कि सबसे पहले उन्हें मध्य प्रदेश में वोटिंग पैटर्न पर शक हुआ, फिर महाराष्ट्र और लोकसभा चुनाव में संदेह और गहरा हो गया। उन्होंने बताया कि लगभग एक करोड़ नए वोटर जोड़ने की प्रक्रिया में बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं।
राहुल ने कहा कि जब कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मदद मांगी, तो आयोग ने कोई सहयोग नहीं किया। इसलिए पार्टी ने स्वतंत्र जांच कराई, जो लगभग छह महीने तक चली। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास जो सबूत हैं, वो यह साबित करते हैं कि चुनाव आयोग जानबूझकर वोटों की चोरी कर रहा है, और यह चोरी बीजेपी के पक्ष में हो रही है।
आरोपों की तीव्रता:
राहुल गांधी ने सीधे-सीधे चुनाव आयोग पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए कहा:
“जो भी लोग इस चोरी में शामिल हैं — ऊपर से नीचे तक — हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे। चाहे वह रिटायर्ड अधिकारी हो या कोई वर्तमान पदाधिकारी, हम उन्हें ढूंढ-ढूंढकर निकालेंगे और जवाबदेह बनाएंगे। क्योंकि ये सिर्फ राजनीतिक साजिश नहीं, बल्कि देशद्रोह है।”
राजनीतिक माहौल पर असर:
राहुल गांधी के इस बयान ने देश की राजनीति में तूफान ला दिया है। विपक्षी दलों ने कांग्रेस के दावे को लेकर समर्थन जताने के संकेत दिए हैं, जबकि भाजपा और चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक जवाब सामने नहीं आया है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में चुनाव सुधार, ईवीएम की पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता जैसे विषयों पर बहस तेज होती जा रही है। राहुल गांधी के इस दावे से यह बहस और अधिक गहराई से उठेगी।
निष्कर्ष:
राहुल गांधी का यह दावा और चुनाव आयोग पर सीधा आरोप, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और चुनावी प्रक्रियाओं की साख पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि कांग्रेस के पास वास्तव में मजबूत और ठोस सबूत हैं, तो यह देश की चुनावी प्रणाली के भविष्य के लिए निर्णायक मोड़ बन सकता है।