लखनऊ। राजधानी के भाऊराव देवरस (बीआरडी) अस्पताल में सोमवार को 83 वर्षीय बुजुर्ग मरीज सुखदेव सिंह ने तीसरी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। वजह—ओपीडी का पर्चा सिर्फ आभा ऐप (ABHA App) से बनने का नियम और उनके पास एंड्रॉयड फोन का न होना। इस त्रासदी ने अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या हुआ हादसे के दिन?
- बुजुर्ग सुखदेव सिंह, ओल्ड महानगर के निवासी थे।
- वह वायरल संक्रमण और डायबिटीज जैसी बीमारियों से पीड़ित थे।
- सोमवार को इलाज कराने बीआरडी अस्पताल पहुंचे और पर्चा काउंटर की लाइन में लगे।
- जब उनका नंबर आया तो कर्मचारी ने कहा—
“पहले मोबाइल पर आभा ऐप डाउनलोड कीजिए, तभी पर्चा बनेगा।” - सुखदेव ने बताया कि उनके पास एंड्रॉयड फोन नहीं है।
- इस पर उन्हें लाइन से हटा दिया गया।
- अपमानित और परेशान होकर दोपहर करीब 1 बजे उन्होंने अस्पताल की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी।
मौत के बाद अफरा-तफरी
- धमाके जैसी आवाज सुनकर लोग दौड़े।
- अस्पताल के पिछले हिस्से में अर्बन हेल्थ पोस्ट संचालित हो रहा था। वहीं से लोग उन्हें खून से लथपथ हालत में इमरजेंसी तक लाए।
- डॉक्टरों ने जांच कर उन्हें मृत घोषित कर दिया।
- अस्पताल प्रशासन ने तुरंत 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी।
- पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
सवालों के घेरे में अस्पताल प्रशासन
- क्या सरकारी अस्पतालों में तकनीकी बाधा के चलते मरीजों को इलाज से वंचित करना जायज है?
- बुजुर्ग, गरीब और तकनीकी संसाधनविहीन लोग कैसे इलाज कराएंगे?
- क्या स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य सुविधा देना है या सिस्टम थोपना?
स्थानीय प्रतिक्रिया
इलाके के लोगों का कहना है कि अस्पताल में पर्चा बनवाने में पहले से ही भारी परेशानी होती है। आभा ऐप का नियम लागू करने के बाद हालात और बदतर हो गए हैं। बुजुर्ग मरीज अक्सर घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, फिर मोबाइल न होने या तकनीकी जानकारी न होने के कारण परेशान हो जाते हैं।a