हिमाचल प्रदेश में इस बार का मानसून सीजन मौत और तबाही बनकर टूटा है। 20 जून से शुरू हुई बरसात के मौसम ने राज्य को गहरे जख्म दिए हैं। अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 242 मौतें सीधे आपदाओं (भूस्खलन, बादल फटना, अचानक बाढ़ और बिजली गिरना) के कारण हुईं, जबकि 182 मौतें सड़क हादसों में दर्ज की गईं।
📍 कहां हुई सबसे ज्यादा तबाही?
- मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है – यहां 42 लोग आपदा से और 24 लोग सड़क हादसों में मारे गए।
- कांगड़ा में आपदा से 35 और सड़क हादसों में 22 मौतें हुईं।
- चंबा में 28 लोग प्राकृतिक आपदाओं और 22 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।
- शिमला में भी हालात भयावह रहे – 24 मौतें आपदा से और 24 सड़क दुर्घटनाओं में हुईं।
💀 मौत के कारण
रिपोर्ट के मुताबिक:
- बारिश से – 52 मौतें
- डूबने से – 40 मौतें
- बादल फटने से – 18 मौतें
- बाढ़ से – 11 मौतें
- बिजली गिरने से – 19 मौतें
सबसे ज्यादा नुकसान कुल्लू और किन्नौर में भूस्खलन व अचानक बाढ़ से हुआ है।
🚧 सड़कें और सप्लाई बंद
- राज्य भर में 604 सड़कें बंद हैं, इनमें 2 नेशनल हाईवे भी शामिल हैं –
- NH-03 (मनाली – अटल टनल)
- NH-305 (आनी – जलौरी पास)
- मंडी में ही 198 सड़कें बंद हैं।
- 228 बिजली सप्लाई और 221 जल आपूर्ति योजनाएं ठप पड़ी हैं।
🏚️ मकान और मवेशियों का नुकसान
- 29,000 से ज्यादा मकान आंशिक या पूरी तरह क्षतिग्रस्त।
- लगभग 4.75 लाख पक्षी और 2,458 जानवर मारे गए।
- आर्थिक नुकसान 47.49 करोड़ रुपये से अधिक आँका गया है।
👉 कुल मिलाकर, हिमाचल प्रदेश में यह मानसून सीजन कुदरत की बड़ी मार साबित हुआ है। पहाड़ों की नाजुक भू-आकृति, अवैज्ञानिक निर्माण और जलवायु परिवर्तन के असर ने तबाही को और बढ़ा दिया है।