पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026: बीजेपी और आरएसएस ने बनाई रणनीति, संगठन मजबूत करने पर जोर

पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सक्रिय मोड में आ गई है। राज्य में विपक्षी पार्टी की तैयारी शुरू हो गई है और इसके तहत बीजेपी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ समन्वय बैठक आयोजित की। यह बैठक दो दिन तक चली और इसमें पार्टी और संघ दोनों के वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

बैठक में मुख्य उद्देश्य आगामी चुनाव के लिए रणनीति तैयार करना, पार्टी संगठन को मजबूत करना और 2021 विधानसभा चुनाव के बाद आई बाधाओं को दूर करने का रोडमैप बनाना था। बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी शामिल हुए।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में संगठन विस्तार, पार्टी की आंतरिक गुटबाजी का समाधान, संघ और बीजेपी के बीच तालमेल, और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों जैसे कि विजयादशमी के शताब्दी समारोह और राज्य में एसआईआर (Special Institutional Review) के कार्यान्वयन पर चर्चा हुई।

बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल बीजेपी की स्टेट कमेटी के अंतिम गठन पर सहमति नहीं बन सकी, जो राज्य इकाई में गुटबाजी और नेताओं के आपसी मतभेद को दर्शाता है। बैठक में नेताओं को निर्देश दिए गए कि आपसी मतभेद जल्द सुलझाकर समिक भट्टाचार्य की अगुवाई में टीम का गठन किया जाए।

अहम पदों के लिए कुछ नेताओं के नाम चर्चा में हैं। संगठन में रितेश तिवारी, राजू बनर्जी, संजय सिंह, प्रबल राहा, लॉकेट चटर्जी और ज्योतिर्मय सिंह महतो जैसे नेताओं को अहम जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। फ्रंटल विंग्स में महिला विंग के लिए शशि अग्निहोत्री और रूपा गांगुली, युवा ईकाई के लिए तुरणज्योति तिवारी और सुरंजन सरकार के नाम प्रमुख हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी और आरएसएस की यह समन्वय बैठक आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए रणनीतिक दिशा तय करने और संगठन को चुनावी मोर्चे पर मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। राज्य में पार्टी की गुटबाजी और संगठनिक सुधार इस बैठक के मुख्य एजेंडे रहे, ताकि 2026 के चुनाव में बीजेपी मजबूत स्थिति में उतरे।

निष्कर्ष: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 को लेकर बीजेपी ने आरएसएस के साथ मिलकर रणनीति बनाई है, जिसमें संगठन विस्तार, नेताओं की जिम्मेदारी तय करना और गुटबाजी सुलझाना मुख्य फोकस है। यह बैठक राज्य में पार्टी की चुनावी ताकत को बढ़ाने और विपक्षी मुकाबले के लिए तैयारी का संकेत है।