रेवाड़ी बावल में किराए के कमरे में मिली महिला की लाश, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा राज

रेवाड़ी जिले के बावल कस्बे में उस समय सनसनी फैल गई जब एक किराए के कमरे में रह रही महिला की लाश फांसी के फंदे से लटकी मिली। महिला की पहचान पुंसीखा के रूप में हुई है, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के पुंदराबन गांव की रहने वाली थी। फिलहाल आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

पति के लौटने पर हुआ खुलासा

जानकारी के मुताबिक, महिला अपने पति दीपक के साथ पिछले छह महीनों से बावल के मोहल्ला जटवाड़ा में किराए पर रह रही थी। दीपक स्थानीय कंपनी में नौकरी करता है। शनिवार को वह रोज़ की तरह सुबह ड्यूटी पर गया हुआ था, जबकि पत्नी कमरे पर अकेली थी। जब वह देर शाम काम से लौटा, तो कमरे में पत्नी को फांसी के फंदे पर लटका पाया। उसने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी।

पुलिस की कार्रवाई

सूचना मिलते ही बावल पुलिस मौके पर पहुंची और महिला के शव को नीचे उतारा। पंचनामा भरने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्राथमिक जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, हालांकि अभी तक इसके पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिजनों के बयान आने के बाद ही आगे की स्थिति स्पष्ट होगी।

स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय

घटना की खबर फैलते ही स्थानीय लोग मौके पर इकट्ठा हो गए। चूंकि दंपती यहां नए-नए किराए पर रहने आए थे, इसलिए आसपास के लोग उन्हें बहुत अधिक नहीं जानते थे। इसके बावजूद अचानक हुई इस घटना ने इलाके में चर्चा और चिंता दोनों को जन्म दे दिया है।

मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव सवालों के घेरे में

ऐसे मामलों में अक्सर आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, या घरेलू कलह जैसी बातें सामने आती हैं। लेकिन फिलहाल पुलिस जांच पूरी होने तक कोई ठोस कारण बताना मुश्किल है। यह घटना फिर से इस ओर इशारा करती है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता और लोग मुश्किल वक्त में मदद लेने की बजाय आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।

निष्कर्ष

बावल में हुई यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर किन कारणों से एक महिला ने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया। पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इस रहस्य से पर्दा उठने की उम्मीद है। तब तक यह मामला सिर्फ एक परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए सोचने का विषय है।

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