नेपाल में जारी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच एक बड़ा नाम सामने आया है। नेपाल की पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। यह प्रस्ताव आंदोलनकारी जेन-जेड समूह ने पेश किया, जिसे कार्की ने स्वीकार भी कर लिया है। वर्चुअल बैठक में उन्हें 2500 से अधिक लोगों का समर्थन मिला।
बनारस से जुड़ा गहरा रिश्ता
- सुशीला कार्की का बनारस से पुराना नाता है।
- उन्होंने 1975 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (M.A.) की डिग्री हासिल की थी।
- छात्र जीवन के दौरान ही उन्हें जीवनसाथी भी बनारस में मिला। यहां उनकी मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई, जिनसे उन्होंने बाद में विवाह किया।
- इससे पहले उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर, विराटनगर से कला स्नातक किया था और बाद में त्रिभुवन विश्वविद्यालय (नेपाल) से 1978 में कानून की पढ़ाई पूरी की।
नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश
- जन्म: 7 जून 1952, विराटनगर (नेपाल)।
- 11 जुलाई 2016 को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
- उनकी नियुक्ति नेपाल के न्यायिक इतिहास में ऐतिहासिक मानी जाती है।
न्यायपालिका में कड़े फैसले
कार्की अपने सख्त और निष्पक्ष निर्णयों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जैसे:
- पृथ्वी बहादुर पांडे बनाम काठमांडू जिला न्यायालय – ऑस्ट्रेलिया में पॉलिमर बैंक नोट छपाई भ्रष्टाचार मामला।
- काठमांडू निजगढ़ फास्ट ट्रैक मामला।
- सरोगेसी विवाद।
उनकी कार्यशैली कम्युनिस्ट सरकार को रास नहीं आई और 30 अप्रैल 2017 को उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे बाद में जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के चलते वापस लेना पड़ा।
अब राजनीतिक भूमिका में?
नेपाल में पिछले कुछ दिनों से बढ़ती अशांति और सरकार की अस्थिरता के बीच जेन-जेड आंदोलनकारी समूह ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया है। इससे नेपाल की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।
👉 विशेष महत्व: काशी की यह पूर्व छात्रा अगर नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह न सिर्फ नेपाल बल्कि भारत-नेपाल संबंधों में भी एक ऐतिहासिक और भावनात्मक अध्याय जोड़ देगा।