उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले से यमुना नदी में अवैध बालू खनन का एक गंभीर मामला सामने आया है। सराय अकिल थाना क्षेत्र के नंदाका पूरा घाट पर घने अंधेरे का फायदा उठाकर मशीनों के जरिए लाल बजरी (बालू) के अवैध खनन का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार के दावों की भी पोल खोल दी है।
NGT नियमों की खुली अवहेलना
वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि यमुना नदी की मुख्य जलधारा में भारी मशीनें लगाकर खनन किया जा रहा है। जबकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के नियमों के तहत नदी की धारा में मशीनों से खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। नियमों के अनुसार, सीमित क्षेत्र, तय गहराई और निश्चित समय में ही खनन की अनुमति दी जाती है, लेकिन यहां इन सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया है।
पट्टाधारक पर गंभीर आरोप
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जिस क्षेत्र में यह खनन हो रहा है, वहां के पट्टाधारक पर सीधे तौर पर जलधारा से खनन कराने के आरोप लग रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि बिना प्रशासनिक मिलीभगत के इतनी बड़ी मशीनें रात के अंधेरे में नदी तक कैसे पहुंच रही हैं और घंटों खनन कैसे किया जा रहा है।
पर्यावरण और ग्रामीणों पर खतरा
यमुना नदी से इस तरह का अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि आसपास के गांवों के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
- नदी का जलस्तर असंतुलित हो रहा है
- तटों का कटाव तेज हो रहा है
- खेती योग्य भूमि और बस्तियों पर बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है
- जलीय जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुंच रहा है
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि लगातार हो रहे खनन से नदी का स्वरूप बदल रहा है, लेकिन शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
पत्रकारों ने की कार्रवाई की मांग
इस मामले को उजागर करते हुए स्थानीय पत्रकारों ने सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री, खनन मंत्रालय और जिलाधिकारी कौशांबी को टैग कर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पत्रकारों का कहना है कि वीडियो सबूत होने के बावजूद यदि कार्रवाई नहीं होती, तो यह प्रशासन की निष्क्रियता और संरक्षण की ओर इशारा करेगा।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि वीडियो वायरल होने और मामला सुर्खियों में आने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई आधिकारिक बयान या कार्रवाई सामने नहीं आई है। इससे यह आशंका और गहरी हो जाती है कि कहीं न कहीं अवैध खनन माफिया को संरक्षण मिल रहा है।
