डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, जो कि रोहतक की सुनारिया जेल में बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर मामलों में सजा काट रहा है, एक बार फिर पैरोल पर रिहा हुआ है। इस बार उसे 40 दिन की पैरोल मिली है और यह उसकी 14वीं बार अस्थायी रिहाई है।
राम रहीम की रिहाई का समय इस बार भी बेहद खास है—15 अगस्त को उसका जन्मदिन है और कयास लगाए जा रहे हैं कि वह इसे सिरसा डेरे में अपने समर्थकों के साथ मनाएगा। यह पहली बार नहीं है कि राम रहीम को किसी बड़े मौके से पहले पैरोल मिली हो। इससे पहले भी उसकी रिहाइयों का समय राजनीतिक और सामाजिक आयोजनों से जुड़ा रहा है, जिससे उसकी पैरोल को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
डेरा पहुंचते ही दिया संदेश
राम रहीम को जेल से भारी सुरक्षा के बीच सिरसा लाया गया, जहां वह डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय में ठहरा है। वहां पहुंचते ही उसने अपने समर्थकों के लिए एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उसने कहा:
“मेरी सभी से अपील है कि वो अपने घरों में रहें. जैसा डेरे से संदेश मिले, वैसी ही हमें सेवा करनी है. आप हर बार हमारी बात मानते हैं, इसके लिए धन्यवाद. आप सभी को मेरा आशीर्वाद।”
यह संदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और एक बार फिर राम रहीम के अनुयायियों में उत्साह का माहौल बन गया है।
पैरोल की लंबी फेहरिस्त
राम रहीम को वर्ष 2020 से अब तक कई बार पैरोल और फरलो पर रिहा किया गया है। उसके कुछ प्रमुख रिहाई विवरण निम्नलिखित हैं:
- अक्टूबर 2020: 1 दिन की पैरोल (मेडिकल जांच के लिए)
- मई 2021: 12 घंटे की पैरोल (बीमार मां से मिलने के लिए)
- फरवरी 2022: 21 दिन की फरलो (पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले)
- जून 2022: 30 दिन की पैरोल (हरियाणा निकाय चुनाव से पहले)
- अक्टूबर 2022: 40 दिन की पैरोल (पंचायत व उपचुनाव से पहले)
- जनवरी 2023 – अप्रैल 2025: कई बार 21 से 40 दिन की पैरोल/फरलो
और अब अगस्त 2025 में, एक बार फिर 40 दिन की पैरोल, ठीक जन्मदिन से पहले मिली है।
विवाद और आलोचना
राम रहीम की बार-बार पैरोल को लेकर कानूनी प्रक्रिया और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होते रहे हैं। विपक्षी पार्टियां अक्सर आरोप लगाती हैं कि उसे राजनीतिक लाभ के लिए समय-समय पर छोड़ा जाता है। खासकर चुनाव से पहले उसकी रिहाई को चुनावी रणनीति के रूप में देखा जाता है।
हालांकि सरकार और जेल प्रशासन का कहना है कि सभी प्रक्रियाएं नियमों के तहत होती हैं और राम रहीम को मिलने वाली पैरोल कानूनी रूप से मंजूर की गई है।
समर्थन बनाम विरोध
राम रहीम की रिहाई पर डेरा समर्थकों में भारी उत्साह है। सिरसा में समर्थक एकत्र हो रहे हैं, और डेरा परिसर में गतिविधियां तेज हो गई हैं। दूसरी तरफ, सोशल मीडिया और कई सामाजिक संगठनों में इस रिहाई पर तीखी प्रतिक्रिया भी देखी जा रही है। कुछ लोग इसे कानून के साथ खिलवाड़ और पीड़ितों के साथ अन्याय मान रहे हैं।
निष्कर्ष
गुरमीत राम रहीम की 14वीं बार पैरोल पर रिहाई ने एक बार फिर से सामाजिक और राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। जहां एक ओर उसके अनुयायी इसे “गुरु की वापसी” मानकर खुशी मना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आलोचक इसे कानून व्यवस्था और न्याय व्यवस्था की कमजोरी बता रहे हैं। 40 दिनों तक सिरसा में रहकर राम रहीम क्या संदेश देता है और उसकी गतिविधियां क्या संकेत देती हैं—इस पर पूरे देश की नजरें बनी रहेंगी।