पटाखों पर पैन-इंडिया बैन की मांग: सुप्रीम कोर्ट बोला– सिर्फ दिल्ली नहीं, हर शहर को स्वच्छ हवा का हक

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बेहद अहम टिप्पणी की। अदालत ने साफ कहा कि अगर पटाखों पर बैन लगाना है तो वह केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि पूरे देश में लागू होना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि स्वच्छ हवा सिर्फ दिल्लीवालों का अधिकार नहीं है। अगर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के लोगों को साफ हवा मिलनी चाहिए, तो देश के बाकी हिस्सों के लोगों को भी वही अधिकार मिलना चाहिए।

⚖️ कोर्ट की अहम टिप्पणियाँ

  1. राष्ट्रीय स्तर पर नीति की मांग – CJI ने कहा कि दिल्ली में एलीट वर्ग रहता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ दिल्ली को ही स्वच्छ हवा दी जाए। “पॉलिसी पैन इंडिया होनी चाहिए।”
  2. व्यक्तिगत अनुभव का जिक्र – जस्टिस गवई ने कहा कि पिछले साल जब वे अमृतसर गए थे तो वहां प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा था।
  3. स्वास्थ्य का अधिकार – अदालत ने दोहराया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण हर नागरिक का अधिकार है।
  4. ‘ग्रीन पटाखों’ पर सस्पेंस – जब तक यह साबित न हो कि हरित पटाखों से होने वाला प्रदूषण न्यूनतम है, तब तक पिछले आदेशों पर पुनर्विचार नहीं होगा।

🏛️ सुनवाई में क्या हुआ?

  • कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को नोटिस जारी किया और 2 हफ्ते में जवाब मांगा।
  • न्याय मित्र (Amicus Curiae) अपराजिता सिंह ने कहा कि दिल्ली का अमीर वर्ग प्रदूषण होने पर शहर छोड़कर चला जाता है, जबकि आम जनता सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
  • अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि नीरी (NEERI) ‘ग्रीन पटाखों’ की व्यवहार्यता की जांच कर रहा है।
  • पटाखा निर्माताओं ने सुझाव दिया कि नीरी अनुमेय रासायनिक संरचना तय करे ताकि उद्योग उसी के हिसाब से पटाखे डिजाइन कर सके।

🚫 क्यों नहीं होगा आदेश पर पुनर्विचार?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पिछले आदेशों का मकसद दिल्ली में खतरनाक स्तर के वायु प्रदूषण से राहत दिलाना था। जब तक यह संतोषजनक सबूत न मिले कि ग्रीन पटाखे प्रदूषण को नगण्य कर देंगे, तब तक बैन हटाने या नरमी बरतने का सवाल ही नहीं उठता।

🌍 बड़ा संदेश

  • सुप्रीम कोर्ट का यह रुख बताता है कि प्रदूषण को केवल NCR तक सीमित मुद्दा नहीं माना जा सकता।
  • अब देशव्यापी स्तर पर पटाखों की नीति बनाने की दिशा में दबाव बढ़ सकता है।
  • यह मामला सिर्फ त्योहारों की परंपरा से जुड़ा नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण से सीधा जुड़ा है।

👉 निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि साफ हवा पूरे भारत का हक है। अगर पटाखों पर बैन है तो वह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित न रहकर पूरे देश पर लागू होना चाहिए।

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