जब ‘मकबूल’ के सेट पर इरफ़ान खान खो बैठे थे आपा: नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी को दे डाली थी गाली

इरफ़ान खान भारतीय सिनेमा के उन दुर्लभ कलाकारों में से एक रहे, जिनकी एक्टिंग और स्क्रीन प्रेज़ेंस ने हमेशा दर्शकों को बांधे रखा। लेकिन अपने गहन अभिनय और गंभीर छवि के पीछे वे भी इंसान थे—कभी-कभी भावनाओं में बह जाते थे। विशाल भारद्वाज की फ़िल्म मकबूल (2003) के सेट से जुड़ा एक किस्सा हाल ही में अभिनेता दीपक डोबरियाल ने साझा किया, जिसने सबको चौंका दिया।

‘हवेली’ पर फूट पड़ा हंसी का ठहाका

दीपक ने बताया कि फिल्म के एक गंभीर सीन की शूटिंग हो रही थी, जिसमें पियूष मिश्रा के किरदार की हत्या के बाद उनकी लाश इरफ़ान के घर लाई जाती है। तभी किसी ने ओम पुरी से पूछा कि लाश कहां मिली। ओम पुरी ने जवाब दिया—”हवेली के पीछे।”

उनके बोलने के अंदाज़, खासकर पंजाबी एक्सेंट में “हवेली” शब्द के इस्तेमाल पर पूरा सेट हंसने लगा। यहां तक कि नसीरुद्दीन शाह और खुद डायरेक्टर विशाल भारद्वाज भी इस मज़ाक में शामिल हो गए। इसके बाद माहौल हल्का-फुल्का हो गया और बार-बार टेक देने पड़े।

जब इरफ़ान भड़क उठे

गंभीर दृश्य बार-बार खराब होने पर इरफ़ान परेशान हो गए। वे अपने किरदार मकबूल में पूरी तरह डूबे थे और माहौल का हल्का होना उन्हें खल रहा था। तभी उन्होंने अचानक अपना आपा खो दिया और नसीरुद्दीन शाह व ओम पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों को गाली तक दे डाली।

सेट पर मौजूद सभी लोग हैरान रह गए—क्योंकि कोई सोच भी नहीं सकता था कि इरफ़ान इतने बड़े कलाकारों से इस तरह बात करेंगे।

गुस्से के बाद आई माफी

लेकिन ये गुस्सा ज़्यादा देर नहीं चला। तुरंत बाद इरफ़ान ने सभी से माफी मांगी और कहा—
“माफ कीजिएगा, मुझे लगा कि गाली-गलौज करने से मेरा अभिनय और तीखा हो जाएगा।”

उनकी ईमानदारी और कलाकारिता देखकर सभी ने उन्हें माफ भी कर दिया।

किस्सा क्यों है खास?

ये वाकया बताता है कि इरफ़ान खान अपने किरदारों को कितनी गंभीरता से लेते थे। उनके लिए अभिनय सिर्फ एक्टिंग नहीं था, बल्कि एक जीता-जागता अनुभव था। इसी समर्पण ने उन्हें बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक एक अमर अभिनेता बना दिया।