10 दिन में 5 हादसे, एक और संविदा लाइनमैन की दर्दनाक मौत
लखनऊ/आजमगढ़। यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे। सिर्फ 10 दिनों में यह पांचवीं मौत है, जिसने सिस्टम की लापरवाही और संविदा कर्मियों की असुरक्षित नौकरी की सच्चाई उजागर कर दी।
मंगलवार देर शाम आजमगढ़ के मुबारकपुर क्षेत्र, देवरियां गांव में 48 वर्षीय रामदुलारे गुप्ता की पोल पर ही करंट लगने से मौत हो गई। वह शटडाउन लेकर लाइन दुरुस्त कर रहे थे, तभी अचानक बिजली चालू कर दी गई। गवाहों के अनुसार, रामदुलारे पोल पर ही झूलते रहे और मौके पर ही उनकी जान चली गई।
🚨 मौत का सिलसिला: यूपीपीसीएल एक्सपोज़ सीरीज़
एपिसोड – 1 : अमौसी हादसा (लखनऊ)
📅 24 सितम्बर 2025
संविदाकर्मी काम करते समय करंट की चपेट में आ गया। सुरक्षा इंतज़ाम नदारद। विभाग का बयान वही पुराना—”जांच होगी।”
एपिसोड – 2 : पिलुआ हादसा (ककरावली, इटावा)
📅 27 सितम्बर 2025
लाइन पर काम करते समय संविदा लाइनमैन श्याम की करंट से मौत। शव ग्रामीणों ने नीचे उतारा। गांव सदमे में डूबा।
एपिसोड – 3 : मुबारकपुर हादसा (आजमगढ़, देवरियां गांव)
📅 30 सितम्बर 2025
रामदुलारे गुप्ता, उम्र 48, शटडाउन लेकर पोल पर काम कर रहे थे। अचानक बिजली बहाल कर दी गई। मौत मौके पर ही।
➡️ बड़ा सवाल: जब शटडाउन लिया गया था, तो करंट कैसे दौड़ा?
🔥 अहम सवाल
- शटडाउन की प्रक्रिया में इतनी लापरवाही क्यों?
- संविदा कर्मियों को सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं दिए जाते?
- क्यों सिर्फ संविदा मजदूर ही मौत का शिकार बन रहे हैं?
- क्या यूपीपीसीएल अफसरों के लिए संविदा कर्मचारी सिर्फ “खपत होने वाली चीज़” हैं?
⚡ मौत का शटडाउन = यूपीपीसीएल का नया “नियम”
- 10 दिन = 5 मौतें
- अलग-अलग ज़िले, एक जैसी वजह — सिस्टम की लापरवाही
- सुरक्षा मानक सिर्फ फाइलों में, मैदान में मौत का खेल जारी
👉 यूपीपीसीएल में हादसों की यह काली सीरीज़ साफ करती है कि सिस्टम जांच और लीपापोती से आगे बढ़ने को तैयार नहीं है।
सवाल यह है—कब तक संविदा कर्मी रोज़ मौत का शिकार होते रहेंगे?
