अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का भारी टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की। उनका उद्देश्य था कि भारत रूस से तेल खरीदना कम कर दे और इस तरह रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ जाए। लेकिन हालात इसके बिल्कुल उलट हो गए। भारत और रूस की दोस्ती और भी मजबूत हो रही है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद अपनी सरकार को आदेश दिया है कि भारत को ट्रंप टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई की जाए। उन्होंने कहा कि रूस भारत को किसी भी कीमत पर नुकसान नहीं होने देगा। पुतिन ने ऐलान किया कि दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए रूस भारत से कृषि उत्पाद और दवाइयों की खरीद बढ़ाएगा।
पुतिन ने साउथ रूस के काला सागर रिसॉर्ट में आयोजित वल्दाई चर्चा मंच (Valdai Discussion Club) में स्पष्ट किया कि रूस-भारत संबंध हमेशा विश्वास और संवेदनशीलता पर आधारित रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कभी कोई गंभीर विवाद नहीं हुआ। पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी खुलकर तारीफ की। उन्होंने मोदी को एक संतुलित, बुद्धिमान और राष्ट्रहित में निर्णय लेने वाले राष्ट्रवादी नेता बताया।
रूस का प्लान क्या है?
- कृषि आयात बढ़ाना – भारत से अनाज, दालें, मसाले जैसे कृषि उत्पादों की बड़ी मात्रा में खरीदारी।
- फार्मा सेक्टर – भारत की दवाइयों और औषधीय उत्पादों को रूसी बाजार में बढ़ावा देना।
- भुगतान व लॉजिस्टिक्स समाधान – पुतिन ने स्वीकार किया कि वित्तपोषण, रसद और भुगतान की कुछ बाधाएं हैं, लेकिन इन्हें सुलझाकर व्यापार को और सहज बनाया जाएगा।
- तेल आयात जारी – भारत रूस से तेल आयात जारी रखेगा, जिससे अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत को ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक मजबूती दोनों मिलेंगी।
बड़ा असर:
- यह फैसला न सिर्फ भारत को अमेरिकी टैरिफ से राहत देगा, बल्कि भारत-रूस के रिश्तों को नई आर्थिक मजबूती भी देगा।
- ट्रंप का टैरिफ भारत को कमजोर करने के बजाय भारत-रूस साझेदारी को और मजबूत बना रहा है।
- भारत को इससे वैश्विक मंच पर एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठा मिलेगी।
👉 कुल मिलाकर, पुतिन का यह कदम भारत के लिए एक राजनयिक जीत और आर्थिक राहत दोनों है।
