उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुए हरिओम हत्याकांड मामले में पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है।
जांच में पुलिस की गंभीर लापरवाही सामने आने के बाद एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने बड़ा कदम उठाते हुए गदागंज थाने के हल्का दरोगा प्रेम कुमार और डायल-112 के कांस्टेबल जयसिंह को निलंबित कर दिया है।
🔴 क्या है पूरा मामला
फतेहपुर जिले के तारावती गांव निवासी 38 वर्षीय हरिओम बीते बुधवार रात अपनी ससुराल ऊंचाहार कस्बे की ओर पैदल जा रहे थे। रास्ते में वे गदागंज थाना क्षेत्र के एक ढाबे के पास पहुंचे।
रात का समय होने की वजह से स्थानीय लोगों को वे संदिग्ध लगे, जिसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें चोर समझ लिया और डायल-112 नंबर पर सूचना दी।
पुलिस पहुंची तो मामला और भी चौंकाने वाला निकला —
डायल-112 की पीआरवी मौके पर तो पहुंची,
लेकिन कांस्टेबल जयसिंह जीप से नीचे तक नहीं उतरे।
उन्होंने गाड़ी के अंदर से ही हरिओम से कुछ सवाल किए और बिना जांच किए उन्हें जाने देने की बात कहकर वापस लौट गए।
दूसरी ओर, स्थानीय हल्का दरोगा प्रेम कुमार को भी इस घटना की जानकारी दी गई थी, लेकिन वह मौके पर पहुंचे ही नहीं।
⚖️ फिर हुई दर्दनाक हत्या
कुछ ही देर बाद ग्रामीणों ने हरिओम को पकड़ लिया और बर्बरतापूर्वक पीट-पीटकर हत्या कर दी।
बाद में सोशल मीडिया पर इस घटना से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ, जिसने पुलिस की निष्क्रियता को उजागर कर दिया।
हालांकि वायरल वीडियो की स्वतंत्र पुष्टि समाचार संस्थान नहीं करता,
लेकिन पुलिस विभाग ने इसे आधार बनाकर आंतरिक जांच शुरू की।
🚨 एसपी ने की सख्त कार्रवाई
जांच रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि
- डायल-112 टीम ने मौके पर कर्तव्य पालन में लापरवाही बरती।
- थाने के दरोगा ने मौके पर जाकर जांच नहीं की।
इसके बाद एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने तत्काल प्रभाव से
दरोगा प्रेम कुमार और कांस्टेबल जयसिंह दोनों को निलंबित कर दिया।
एएसपी संजीव सिन्हा ने बताया —
“हरिओम की मौत से पहले वायरल वीडियो की जांच में दोनों पुलिसकर्मियों की गंभीर लापरवाही पाई गई है।
इस मामले में विभागीय कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।”
🔍 संदिग्धों की तलाश तेज
पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
वहीं, वायरल वीडियो में दिख रहे दो और संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की गई है।
जांच पूरी होते ही उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।
💬 परिवार में शोक, पुलिस पर उठे सवाल
हरिओम के परिवार में मातम का माहौल है।
परिजन सवाल उठा रहे हैं कि अगर पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती,
तो उनका बेटा आज जिंदा होता।
इस घटना ने न सिर्फ प्रशासन को झकझोरा है,
बल्कि पुलिस की ज़मीनी कार्यशैली और संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
