परमानेंट कनेक्शन के नाम पर विभागीय खेल! — 5 महीने से फाइल घूमती रही, उपभोक्ता परेशान, अफसर बेपरवाह

यह घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर डिविजन के अंतर्गत आने वाले सर्वोदय नगर क्षेत्र की है, जहां एक आम उपभोक्ता की फाइल पिछले पांच महीनों से विभागीय दफ़्तरों में अनदेखी का शिकार बनी हुई है।
उपभोक्ता बृजेश कुमार (कनेक्शन संख्या: 9955603235) ने बिजली कनेक्शन के विधा परिवर्तन (Load Category Change) के लिए आवेदन किया – LMV-9 से LMV-1 में।
यानी, अस्थायी कनेक्शन से नियमित घरेलू कनेक्शन में बदलाव।

लेकिन विभाग की ‘सुव्यवस्थित उपभोक्ता सेवा’ के दावों के बावजूद किसी भी स्तर पर न परिणाम मिला, न कार्रवाई हुई, सिर्फ़ आश्वासन ही मिला।

बृजेश कुमार की व्यथा:

  • बृजेश ने बताया कि वे पूरे साल में करीब ₹1,20,000 का बिजली बिल चुका चुके हैं, जबकि उनकी यूनिट खपत मुश्किल से 240 यूनिट रही।
  • उन्होंने अपनी पेंशन बचाकर घर बनाया, लेकिन अब फर्श तक नहीं बिछा पाए – क्योंकि विभाग परमानेंट कनेक्शन देने को तैयार नहीं।
  • शर्मनाक रूप से, जब वे खुद वाणिज्य निदेशक के पास मिले, तो उन्हें कहा गया:

“पहले घर में रहना शुरू करो, फिर कनेक्शन परमानेंट हो जाएगा।”

यानी कि नियमों से ज़्यादा अब ‘रहन-सहन’ महत्व रखता है?

अव्यवस्था की परतें:

  • यह फाइल अधीक्षण अभियंता, उपखंड अधिकारी और अवर अभियंता के बीच महीने दर महीने घूम रही है।
  • हर बार सिर्फ यही जवाब मिलता है — “देख रहे हैं”, लेकिन किसी ने कुछ किया नहीं।
  • ऐसा लगता है मानो एक आम उपभोक्ता का दर्द विभाग के लिए महज एक औपचारिकता से ज़्यादा कुछ नहीं।

अन्य उपभोक्ताओं की राय:

स्थानीय लोगों का कहना है कि —

“ये कोई नया मामला नहीं है। ऐसे अनगिनत उपभोक्ता महीनों दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं। छोटे कनेक्शन वालों को सताया जाता है… लेकिन बड़े बिल वालों का काम एक ही दिन में निपटा दिया जाता है।”

सवालों के घेरे में:

यूपीपीसीएल चाहे तो सिर्फ एक एफिडेविट लेकर कनेक्शन की विधा बदली जा सकती है
मगर क्या अफसर ऐसा करेंगे?
या यह फाइल भी एक और ‘मामूली उपभोक्ता की मजबूरी’ बनकर, सिस्टम की दरारों में गुम हो जाएगी?

यह घटना एक कड़वा सच दोहराती है:
यूपी की बिजली व्यवस्था में ‘सुव्यवस्थित उपभोक्ता सेवा’ सिर्फ पोस्टर में दिखती है — ज़मीन पर नहीं।