लखनऊ में शिक्षा के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा: PHD स्कॉलर चला रहा था नकली डिग्री का रैकेट, 15 हजार में BA-MA और 4 लाख में इंजीनियरिंग की डिग्री

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाकर बेचने वाले इंटरस्टेट गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। गोमती नगर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से गिरोह का सरगना खुद पीएचडी डिग्रीधारी बताया जा रहा है।

पुलिस के मुताबिक, यह पूरा रैकेट गोमती नगर इलाके में चल रहे एक साइबर कैफे के जरिए संचालित किया जा रहा था, जहां देश की करीब 25 यूनिवर्सिटीज की फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट तैयार की जाती थीं। इन डिग्रियों की कीमत 15 हजार रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक तय थी, जो कोर्स और डिग्री के स्तर पर निर्भर करती थी।

कैसे हुआ गिरोह का खुलासा?

डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि पुलिस को गोपनीय सूचना मिली थी कि गोमती नगर के एक साइबर कैफे में फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। सूचना के आधार पर छापेमारी की गई, जहां से तीन आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ लिया गया।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस प्रकार हुई है—

  • सत्येंद्र द्विवेदी (32) – निवासी पूरा कलंदर, अयोध्या
  • अखिलेश कुमार (44) – निवासी बीघापुर, उन्नाव
  • सौरभ शर्मा (35) – निवासी ईसानगर, लखीमपुर खीरी

जरूरत के हिसाब से बनती थी डिग्री

पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि वे छात्रों और नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं को उनकी जरूरत के अनुसार फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाकर देते थे। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल लोग निजी कंपनियों में नौकरी पाने के लिए करते थे।

गिरोह द्वारा तैयार की जाने वाली डिग्रियों में शामिल थीं—

  • BA, MA
  • BCA, MCA
  • MSc
  • B.Tech (इंजीनियरिंग)

BA और MA जैसी डिग्रियां जहां 15 हजार रुपये में मिल जाती थीं, वहीं इंजीनियरिंग और तकनीकी डिग्रियों की कीमत 4 लाख रुपये तक वसूली जाती थी।

इन विश्वविद्यालयों के नाम पर बनती थीं फर्जी डिग्रियां

पुलिस के अनुसार, आरोपी देश के कई नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। इनमें शामिल हैं—

  • स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ
  • नॉर्थ ईस्ट क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी, दीमापुर (नागालैंड)
  • महराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय, उत्तराखंड
  • कलिंगा विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़
  • जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर
  • साबरमती विश्वविद्यालय, गुजरात
    सहित लगभग 25 विश्वविद्यालयों के नाम पर डिग्रियां बनाई जा रही थीं।

PHD करने के बाद बनाया फर्जी डिग्री का नेटवर्क

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गिरोह का सरगना सत्येंद्र द्विवेदी खुद कलिंगा यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र (Sociology) में पीएचडी कर चुका है। वहीं आरोपी अखिलेश कुमार ने कानपुर विश्वविद्यालय से MSc कर रखी है।

पुलिस के अनुसार, आरोपी खरगापुर में एक निजी ऑनलाइन परीक्षा केंद्र भी चलाते थे। कई बार छात्रों को झांसे में लेने के लिए उनसे फर्जी तरीके से परीक्षा भी दिलवाई जाती थी, ताकि डिग्री असली लगे। गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ था और हर सदस्य की भूमिका पहले से तय थी—कोई ग्राहक लाता था, कोई डिग्री डिजाइन करता था, तो कोई प्रिंटिंग और मोहर का काम संभालता था।

15 करोड़ रुपये का अवैध कारोबार

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी साल 2021 से यह धंधा चला रहे थे। अब तक करीब 1500 लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची जा चुकी हैं, जिनकी कुल कीमत करीब 15 करोड़ रुपये आंकी गई है।

छापेमारी के दौरान पुलिस ने बरामद किया—

  • 25 यूनिवर्सिटीज की 923 फर्जी डिग्रियां
  • 15 विश्वविद्यालयों की मुहरें
  • 65 डिग्री प्रिंटिंग पेपर
  • 6 लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

अब फर्जी डिग्री लेने वालों पर भी शिकंजा

पुलिस अब केवल डिग्री बनाने वालों तक ही सीमित नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि फर्जी डिग्री लेने वालों का डाटा भी तैयार किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह शिक्षा को केवल कमाई का जरिया बना दिया गया है। पुलिस का कहना है कि नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है और जल्द ही और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

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