“NO UPI… बेकार हो जाएंगे पेटीएम और फोनपे जैसे ऐप! इस शहर ने बढ़ा दी चिंता!”

क्या वाकई खत्म हो जाएगा पेटीएम और फोनपे का ज़माना?
क्या डिजिटल इंडिया की ये रीढ़ बन चुके ऐप अब लोगों के फोन में बस नाम के ही रह जाएंगे?”

हम बात कर रहे हैं उस शहर की… जहां ‘NO UPI’ का बोर्ड दुकानों पर लटकने लगा है!

जी हां, इस शहर में अब दुकानदारों ने UPI लेने से किया इंकार!
और इसकी वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे!”

“NO UPI – क्यूं डर गए दुकानदार?”

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“दरअसल, दुकानदारों का कहना है कि UPI पेमेंट लेने पर उन्हें सीधे घाटा हो रहा है!”
“बैंक चार्जेस, ट्रांजैक्शन कटौती और बार-बार फ्रीज़ हो रहे अकाउंट्स ने बढ़ा दी है उनकी टेंशन!”

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“अब ज़्यादातर दुकानदार कह रहे हैं – ‘भाई, कैश दो या स्कैन करना छोड़ो!’
और इससे चिंता में पड़ गए हैं वो लोग जो पेटीएम, फोनपे, गूगल पे जैसे ऐप्स के बिना घर से बाहर ही नहीं निकलते!”


“एक तरफ सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दे रही है…
और दूसरी तरफ छोटे व्यापारी कह रहे हैं – UPI से बर्बादी हो रही है!”

अब सवाल ये है – क्या सरकार कोई राहत देगी? या फिर NO UPI की ये लहर पूरे देश में फैल जाएगी?”

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“आपके शहर में UPI से पेमेंट हो रहा है या दुकानदार मना कर रहे हैं? नीचे कमेंट में जरूर बताएं!”

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नई दिल्ली: क्या आने वाले दिनों में यूपीआई से पेमेंट खत्म हो जाएगा या इसमें गिरावट आएगी? फिलहाल बेंगलुरु में गली-गली में यूपीआई पेमेंट को लेकर समस्याएं सामने आने लगी हैं। ये समस्याएं कुछ इसी ओर इशारा कर रही हैं। बेंगलुरु के कई मोहल्लों की दुकानों पर अब QR कोड वाले स्टिकर नहीं दिख रहे हैं। ये स्टिकर डिजिटल पेमेंट को आसान बनाते थे। अब उनकी जगह प्रिंटआउट या हाथ से लिखे नोट लगे हैं। इन पर लिखा है, ‘UPI नहीं, सिर्फ कैश’।

बेंगलुरु शहर डिजिटल पेमेंट में हमेशा आगे रहा है। लेकिन अब छोटे दुकानदार यूपीआई पेमेंट की जगह कैश मांग रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक कुछ दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने यूपीआई का इस्तेमाल कम कर दिया है। कुछ ने तो पेमेंट ऐप्स का इस्तेमाल ही बंद कर दिया है। एक दुकानदार ने बताया कि वह दिन में करीब 3000 रुपये का कारोबार करता है। उसने कहा कि उसे थोड़ा ही मुनाफा होता है। ऐसे में वह यूपीआई से पेमेंट नहीं ले सकता।

क्या है दुकानदारों को डर?
हजारों छोटे व्यापारी, जैसे सड़क पर खाने-पीने की चीजें बेचने वाले, चाय-बिस्किट बेचने वाले, सबको जीएसटी के नोटिस मिले हैं। कुछ मामलों में तो ये नोटिस लाखों रुपये के हैं। ये जानकारी दुकानदारों के साथ-साथ वकीलों और अकाउंटेंट को भी है।बेंगलुरु स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव एडवोकेट विनय के. श्रीनिवास ने कहा कि कई दुकानदारों को जीएसटी अधिकारी परेशान कर रहे हैं। वहीं दुकानदारों को टैक्स नोटिस के कारण बेदखल किए जाने का भी डर है। ऐसे में दुकानदार यूपीआई की जगह कैश पसंद कर रहे हैं।

क्या है जीएसटी कानून?
जीएसटी कानून के अनुसार सामान बेचने वाले व्यवसायों को जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अगर उनकी सालाना कमाई 40 लाख रुपये से ज्यादा है तो उन्हें टैक्स भी देना होगा। सर्विस के मामले में यह सीमा 20 लाख रुपये है।

कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा कि उन्होंने सिर्फ उन मामलों में नोटिस जारी किए हैं, जिनमें 2021-22 से यूपीआई ट्रांजेक्शन डेटा में जीएसटी रजिस्ट्रेशन और टैक्स पेमेंट की जरूरत दिखाई दी है। विभाग ने कहा कि ऐसे सभी व्यापारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अपनी टैक्सेबल कमाई बतानी होगी और टैक्स जमा करना होगा।

दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा असर
बेंगलुरु स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट श्रीनिवासन रामकृष्णन का कहना है कि बेंगलुरु एक टेस्ट केस बन सकता है। उन्होंने कहा कि अगर जीएसटी अधिकारी बिना रजिस्ट्रेशन वाले विक्रेताओं से अच्छा राजस्व वसूल सकते हैं, तो दूसरे राज्य भी ऐसा ही करेंगे। क्योंकि हर राज्य को फंड की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की नजर अब मुंबई में ज्यादा बिजनेस करने वाले चाय विक्रेताओं पर है।