घटना का विस्तृत विवरण:
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के उत्तरपाड़ा में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सात साल की बच्ची के साथ एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया। यह घटना एक मिठाई की दुकान में हुई, जहां बच्ची अपनी दादी के साथ खरीदारी करने गई थी। इस मामले ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं। पूरी घटना दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई, जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू की है।
घटना का ब्यौरा:
- स्थान और समय: यह घटना हुगली के उत्तरपाड़ा में एक स्वीट्स शॉप में हुई। सटीक तारीख की जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह हाल की घटना है, जैसा कि 25 अगस्त 2025 को न्यूज़ट्रैक और आवाज़ प्लस की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।
- पीड़िता: पीड़िता एक सात साल की बच्ची है, जो तीसरी कक्षा में पढ़ती है। वह अपनी दादी के साथ मिठाई की दुकान पर गई थी।
- आरोपी: आरोपी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति है, जिसे सीसीटीवी फुटेज में तोंदू (मोटा) बताया गया है। उसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है, और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
घटना का विवरण:
बच्ची अपनी दादी के साथ दुकान में थी, जहां दादी काउंटर पर खरीदारी में व्यस्त थी। इस दौरान आरोपी दुकान में आया और बच्ची के पास पहुंचा।
सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, उसने पहले बच्ची से बात शुरू की, फिर धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। उसने बच्ची के सिर पर हाथ फेरा, फिर उसके गाल को छुआ, जिसे “बैड टच” के रूप में वर्णित किया गया है।
इसके बाद, उसने बच्ची के गाल पर जबरन चुंबन किया और होंठों पर भी चूमने की कोशिश की। बच्ची ने असहज होकर खुद को पीछे खींचने की कोशिश की, लेकिन वह पूरी तरह बच नहीं पाई।
सबसे घिनौनी हरकत तब हुई, जब आरोपी ने अपनी उंगली बच्ची के मुंह में डाल दी। इसके बाद वह जल्दी से दुकान से भाग गया।
दादी और अन्य लोगों की अनजान स्थिति: दादी, जो खरीदारी में व्यस्त थी, और दुकान में मौजूद अन्य ग्राहक इस उत्पीड़न से पूरी तरह अनजान रहे। यह घटना इतनी तेजी से हुई कि किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया।
सीसीटीवी की भूमिका:
- दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे ने इस पूरी घटना को रिकॉर्ड कर लिया, जो बाद में पुलिस जांच के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य बना।
- फुटेज में साफ दिख रहा है कि आरोपी बच्ची के साथ अकेले में गलत व्यवहार कर रहा था, जबकि दुकान में अन्य लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया।
पुलिस कार्रवाई:
- मामला दर्ज: सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद पुलिस ने तुरंत यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। POCSO एक्ट बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से निपटने के लिए एक सख्त कानून है, जिसमें दोषी को सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
- आरोपी की तलाश: पुलिस ने आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उसकी शारीरिक बनावट और कपड़ों का विवरण पुलिस के पास है, जिससे उसकी तलाश में मदद मिल रही है।
- जांच की प्रगति: पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास है या वह पहले भी इस तरह की घटनाओं में शामिल रहा है।
सामाजिक और कानूनी संदर्भ:
यह घटना बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की बढ़ती संख्या को दर्शाती है, जो भारत में एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में POCSO एक्ट के तहत 47,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। सार्वजनिक स्थानों, जैसे दुकानों, बाजारों और पार्कों में बच्चों के साथ होने वाली ऐसी घटनाएं अभिभावकों और समाज के लिए एक चेतावनी हैं।
घटना से उठने वाले सवाल:
- बच्चों की सुरक्षा: यह घटना दर्शाती है कि सार्वजनिक स्थानों पर भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। अभिभावकों की सतर्कता और सामुदायिक निगरानी की कमी इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देती है।
- सीसीटीवी का महत्व: यदि दुकान में सीसीटीवी न होता, तो शायद यह घटना सामने ही न आती। यह सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित करता है।
- जागरूकता की कमी: दादी और अन्य ग्राहकों का अनजान रहना इस बात को दर्शाता है कि समाज में यौन उत्पीड़न के संकेतों को पहचानने और तुरंत हस्तक्षेप करने की जागरूकता की कमी है।
सुझाव और समाधान:
जागरूकता अभियान:
- स्कूलों और समुदायों में बच्चों को “गुड टच, बैड टच” के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि वे किसी भी असहज स्थिति में तुरंत अपने माता-पिता या विश्वसनीय व्यक्तियों को बताएं।
- अभिभावकों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए, ताकि वे बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के संकेतों को पहचान सकें।
सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा:
- दुकानों, मॉल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य किए जाने चाहिए।
- दुकान कर्मचारियों को संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने और तुरंत हस्तक्षेप करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए।
कानूनी कार्रवाई और त्वरित न्याय:
- POCSO एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई में तेजी लानी चाहिए, ताकि पीड़ितों को जल्द न्याय मिले और अपराधियों में डर पैदा हो।
- पुलिस को सीसीटीवी फुटेज और अन्य तकनीकी साक्ष्यों का उपयोग करके अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए संसाधन बढ़ाने चाहिए।
सामुदायिक जिम्मेदारी:
- समाज के लोगों को बच्चों के प्रति अधिक संवेदनशील और सतर्क होने की जरूरत है। यदि कोई संदिग्ध व्यवहार दिखे, तो उसे तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए।
- स्थानीय समुदायों में “चाइल्ड सेफ्टी कमेटी” जैसी पहल शुरू की जा सकती हैं, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए काम करें।
निष्कर्ष:
हुगली की इस घटना ने एक बार फिर बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की गंभीरता को उजागर किया है। यह समाज, सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक जागृत करने वाली घंटी है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। सीसीटीवी फुटेज ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन यह भी सच है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निवारक उपायों पर अधिक ध्यान देना होगा।
