दीपक इजारदार ने अपने बेटे के जन्मदिन के जश्न में सार्वजनिक सड़क पर ट्रैफिक रुकवाकर पटाखे फोड़ दिए, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो सामने आने के बाद यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
बताया जा रहा है कि सूरत की एक व्यस्त सड़क पर दीपक इजारदार ने अपने बेटे का जन्मदिन मनाने के लिए अचानक ट्रैफिक रुकवा दिया। सड़क के बीचों-बीच खड़े होकर पटाखे फोड़े गए, जिससे कुछ देर तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। आम लोगों को न तो कोई वैकल्पिक रास्ता दिया गया और न ही ट्रैफिक पुलिस की कोई आधिकारिक अनुमति दिखाई दी।
वीडियो वायरल, लोगों में नाराजगी
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो मौके पर मौजूद लोगों ने बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि सड़क पर गाड़ियां रुकी हुई हैं और जन्मदिन का जश्न मनाया जा रहा है। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए कि
- क्या कानून सिर्फ आम लोगों के लिए है?
- क्या पैसे और रुतबे के दम पर सड़क जाम करना जायज है?
“मैं सेलिब्रिटी हूं” बयान बना विवाद की वजह
जब इस हरकत को लेकर विवाद बढ़ा तो दीपक इजारदार का बयान सामने आया, जिसने आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने कहा—
“मैं एक सेलिब्रिटी हूं। सिर्फ पांच मिनट के लिए ही तो ट्रैफिक रोका था, इसमें क्या बड़ा गुनाह हो गया?”
इस बयान के बाद मामला केवल ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वीआईपी सोच और कानून के दोहरे मापदंडों पर बहस छिड़ गई।
कानून क्या कहता है
ट्रैफिक नियमों के अनुसार,
- सार्वजनिक सड़क पर बिना अनुमति कार्यक्रम करना अपराध है
- ट्रैफिक रोकना, पटाखे फोड़ना और लोगों की आवाजाही में बाधा डालना दंडनीय है
- शोर और आतिशबाजी से संबंधित नियमों का उल्लंघन भी इसमें शामिल है
ऐसे मामलों में जुर्माना, एफआईआर और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
आम लोगों का सवाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर कोई आम व्यक्ति ऐसा करता, तो उसे तुरंत पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ता। लेकिन रसूखदार लोगों के मामले में अक्सर नियम ढीले पड़ जाते हैं। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि
- इस मामले में निष्पक्ष जांच हो
- कानून सबके लिए समान रूप से लागू किया जाए
- “सेलिब्रिटी” होने का दावा कानून से ऊपर न माना जाए
प्रशासन की भूमिका पर नजर
फिलहाल यह देखना अहम होगा कि सूरत पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं—
- क्या केवल चेतावनी देकर मामला निपटा दिया जाएगा?
- या फिर नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई होगी?
निष्कर्ष
सूरत का यह मामला सिर्फ एक जन्मदिन के जश्न का नहीं, बल्कि कानून, समानता और जिम्मेदारी का है। सार्वजनिक सड़क किसी की निजी जागीर नहीं होती। यदि ऐसे मामलों में सख्ती नहीं दिखाई गई, तो यह संदेश जाएगा कि नियम सिर्फ आम जनता के लिए हैं, और रसूखदार लोग खुद को “सेलिब्रिटी” बताकर उनसे ऊपर समझ सकते हैं।
