मौलाना साजिद रशीदी, जो ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, उन्होंने हाल ही में समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव के खिलाफ एक विवादित बयान दिया था। डिंपल यादव कुछ दिनों पहले एक मस्जिद में गई थीं। वहां उन्होंने सर ढक कर मुस्लिम रीति के अनुसार मस्जिद में हाज़िरी दी।
इस धार्मिक स्थल पर डिंपल यादव की मौजूदगी और उनके पहनावे को लेकर मौलाना ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा:
“मैं किसी का नाम नहीं लेता लेकिन जो महिला उनके साथ थीं, वह मुस्लिम लिबास में थीं, सिर ढका था। लेकिन दूसरी महिला थीं डिंपल यादव… उनकी @#@#@#@# हैं।”
इस बयान को कई लोगों ने बेहद आपत्तिजनक और अशोभनीय माना। सोशल मीडिया पर इसकी कड़ी आलोचना शुरू हो गई, और राजनीतिक हलकों में भी मौलाना की निंदा की गई।
🔴 हमले की घटना
डिंपल यादव पर दिए गए इस बयान के बाद मौलाना साजिद रशीदी एक टीवी चैनल के डिबेट शो में नोएडा के सेक्टर-126 स्थित एक स्टूडियो पहुंचे थे। वहां कुछ समाजवादी पार्टी के छात्र सभा से जुड़े कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
कार्यक्रम के दौरान डिबेट से पहले या बाद में सपा कार्यकर्ताओं ने मौलाना को घेर लिया और उनसे बयान को लेकर बहस शुरू कर दी। धीरे-धीरे यह बहस हाथापाई में बदल गई और सपा के कार्यकर्ताओं ने मौलाना को थप्पड़ मार दिए।
इस घटना का वीडियो खुद सपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वीडियो में देखा गया कि एक शख्स मौलाना को थप्पड़ मार रहा है, जबकि बाकी लोग उन्हें घेरकर नारेबाजी कर रहे हैं।
🔴 पुलिस में शिकायत
हमले के बाद मौलाना ने सेक्टर-126 थाने में शिकायत दर्ज कराई।
थाना प्रभारी भूपेंद्र बालियान ने पुष्टि की कि मामले की जांच की जा रही है और CCTV फुटेज व अन्य साक्ष्यों को खंगाला जा रहा है।
🔴 सपा की प्रतिक्रिया
सपा छात्र सभा के गौतमबुद्ध नगर ज़िला अध्यक्ष मोहित नागर ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा:
“मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव पर जिस तरह की टिप्पणी की, वह महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है। अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी, तो उनके खिलाफ केस दर्ज कराएंगे।”
मोहित नागर ने यह भी आरोप लगाया कि मौलाना एक खास पार्टी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं और उनका मकसद धार्मिक उन्माद फैलाना है।
🔴 मामले का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
- सियासी माहौल गर्म हो गया है। जहां सपा समर्थक मौलाना की गिरफ्तारी और माफ़ी की मांग कर रहे हैं, वहीं मौलाना के समर्थक इस पिटाई को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बता रहे हैं।
- महिलाओं के सम्मान और धार्मिक मूल्यों को लेकर इस विवाद ने राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है।
- इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि कैसे राजनीतिक बयानबाज़ी समाज में तनाव और हिंसा को जन्म दे सकती है।

 
									 
			 
			 
			