Wednesday, 13 December 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा राजस्थान के डिप्टी सीएम होंगे. हाल ही में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी दो-दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. आइए जानते हैं कि राज्य के डिप्टी सीएम का मंत्रीमंडल में ओहदा क्या होता है, कौन उन्हें हटा सकता है और उनके पास क्या पावर होती हैं?
राजस्थान के नए मुख्यमंत्री की घोषणा हो गई है. भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री होंगे. इसी के साथ भाजपा विधायक दल की बैठक में राज्य के दो उप-मुख्यमंत्री यानी डिप्टी सीएम पदों के नामों का भी ऐलान हुआ. दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा राजस्थान के डिप्टी सीएम होंगे. हाल ही में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी दो-दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. लेकिन राज्य की सियासत में डिप्टी सीएम का दर्जा और काम क्या होता है? यह भी जानना जरूरी है.
खास बात है कि डिप्टी सीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है. यानी जैसे उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और काम का जिक्र संविधान में किया गया है. उस तरह संविधान में डिप्टी सीएम पद का कोई उल्लेख नहीं है. यह एक तरह की राजनीतिक व्यवस्था होती है. आइए जानते हैं कि राज्य के डिप्टी सीएम का मंत्रिमंडल में ओहदा क्या होता है, कौन उन्हें हटा सकता है और उनके पास क्या पावर होती हैं?
क्या डिप्टी CM से होते हुए सीएम के पास पहुंचती हैं फाइलें?
मुख्यमंत्री की तरह डिप्टी सीएम के पास कोई विशिष्ट वित्तीय या प्रशासनिक शक्तियां नहीं होतीं. उनकी नियुक्ति राज्य का मुख्यमंत्री करता है. डिप्टी सीएम का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता है. राजनीतिक समीकरण बदलने पर मुख्यमंत्री किसी भी समय डिप्टी सीएम बदल सकता है या उन्हें हटाया भी सकता है.
रैंक और भत्तों के मामले में डिप्टी सीएम कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. शपथ लेते समय वो डिप्टी सीएम की तरह शपथ नहीं ले सकते हैं. उन्हें मंत्री के तौर पर शपथ लेनी होती है. हालांकि, मंत्रिमंडल में इन्हें दूसरा सर्वोच्च रैंकिंग वाला मंत्री माना जाता है.
संवैधानिक पद नहीं होने की वजह से डिप्टी सीएम की भूमिका और कार्य में कोई स्पष्टता नहीं होती है. इन्हें बाकी कैबिनेट मंत्रियों की तरह विभाग दिए जाते हैं. आमतौर पर इन्हें मुख्यमंत्री को मिलने वाले विभागों की तुलना में छोटे विभाग मिलते हैं. अमूमन कोई भी फाइल प्रॉपर चैनल से होते हुए ऊपर जाती है. क्योंकि डिप्टी सीएम संवैधानिक पद की बजाय एक राजनीतिक व्यवस्था है, इसलिए सीएम के पास जानी वाली सरकारी फाइलें डिप्टी सीएम के पास से होते हुए नहीं जाती हैं. डिप्टी सीएम केवल वही विभाग देख सकते हैं, जो कैबिनेट में उन्हें सौंपा जाता है.
सरकार क्यों बनाती है उप-मुख्यमंत्री?
मुख्यमंत्री राज्य में एक से ज्यादा उप-मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकता है. एक राज्य में कितने उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं, इसकी कोई तय सीमा नहीं है. जैसे आंध्र प्रदेश राज्य में पांच उप-मुख्यमंत्री हैं. डिप्टी सीएम की नियुक्ति मुख्य रूप से राजनीतिक हितों को साधने के लिए की जाती है.
सहयोगी दलों के मंत्री को उपमुख्यमंत्री पद देने से गठबंधन सरकार में राजनीतिक स्थिरता और मजबूती आती है. इससे दल-बदल विरोधी मामले कम सामने आते हैं. साथ ही इनके जरिए वोट बैंक भी साधा जाता है. यह सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के वफादार और प्रभावशाली नेताओं को उपकृत करने का एक तरीका भी है. कुछ मामलों में पोर्टफोलियों के बंट जाने से प्रशासन भी प्रभावी ढंग से चलता है.
भले ही सरकार में डिप्टी सीएम का पद रैंक में दूसरा हो, लेकिन मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में वो मुख्यमंत्री की सहमति के बिना कोई आदेश या निर्देश नहीं जारी कर सकता. हालांकि, सीएम की जगह कैबिनेट बैठकों की अध्यक्षता करना, आधिकारिक कार्यों में भाग लेने जैसे मामलों में डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री की जगह ले सकता है.