Sunday, 17 December 2023 00:00
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आर्डन एंड मेंटेनेंस के नाम पर फर्जी भुगतान पर किया सिग्नेचर, विभागीय जांच में आया मामला प्रकाश में, सभी के ऊपर, 420 सहित गंभीर मामलों में एफ आई आर हुआ था दर्ज़ , यदि यह मामला प्रकाश में नहीं आता, तो 17 करोड़ से अधिक का गबन करने वाले थे बिजली विभाग के अधिकारी।
मऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. मऊ में कार्यकारी सहायक पद पर नियुक्त रहे मिथिलेश यादव को विभागीय जांच उपरांत किसी भी प्रकार के वित्तीय अनियमितता संबंधित मामले में सम्मिलित नहीं पाए जाने पर निर्दोष साबित किया गया है। बताते चले कि मऊ जनपद में अप्रैल 2023 के दौरान काफी पुराने मामले वित्तीय वर्ष 2015 16 और 2016-17 में विभिन्न कार्यों के मध्य में किए गए भुगतान से संबंधित एक बड़ा वित्तीय अनियमितता का प्रकरण सामने आया था, जिसके तहत कई लोगों पर विभागीय कार्रवाई करते हुए निलंबन व स्थानांतरण किया गया था। उसी क्रम में कार्यालय के कार्यकारी सहायक पद पर नियुक्त मिथिलेश यादव का भी स्थानांतरण करते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। जिसका प्रकरण अभी जांच में चल रहा था। इस दौरान विभागीय एवं कानूनी जांच के तहत मिथिलेश यादव को निर्दोष साबित किया गया है।
गौरतलब हो कि 25 अप्रैल 2023 को वाराणसी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी के पत्रांक के अनुक्रम में विद्युत वितरण खंड मऊ प्रथम में इआरपी प्रणाली में ओ एण्ड एम मद में अपलोड किए गए बिजकों/देयको से संबंधित कार्यों का भौतिक सत्यापन किया गया। सत्यापन एवं विस्तृत जांच हेतु जांच समितियां का गठन किया गया। जांच समिति द्वारा विभिन्न कार्यकारी संस्थाओं के वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 से संबंधित ओ एण्ड एम बिजकों से संबंधित पत्रावली एवं एमबी की गहनता से जांच की गई। जिसमें ओ एण्ड एम मद में रुपया 5 लाख की अनियमितता पाई गई। इसके साथ ही अन्य बिलों में भी काफी बड़ी रकम के अनियमितता का मामला सामने आया। जिसको लेकर विद्युत वितरण निगम मऊ खंड प्रथम के अधिशासी अभियंता सहित तमाम कर्मचारियों का स्थानांतरण करते हुए वित्तीय अनियमितता का मुकदमा दर्ज कर जांच बैठा दी गई थी। उप सचिव द्वारा शुक्रवार को आदेश सुनाया गया की जांच कमेटी द्वारा पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर गहनता पूर्वक जांच की गई। पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर जांच में मिथिलेश यादव की संलिप्तता नहीं पाई गई। जिन्हें दोष मुक्त करते हुए प्रकरण को समाप्त किया जाता है।
आखिर क्या था पूरा मामला
बिजली विभाग का दाना पानी खाने वाले अधिकारी व कर्मचारी घाटे में चल रहे विभाग को रसातल में ले जाने पर तुले हुए हैं। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के गृह जनपद में 17 करोड़ रुपये डकारने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। मामला मऊ जनपद के विद्युत वितरण खंड प्रथम का वित्तीय वर्ष 2022-23 का है। आर्डर एंड मेंटेनेंस के कार्यों के मद में जारी उक्त धनराशि को फर्जी बिलिंग के जरिए भुगतान कराकर घोटाला करने का कुचक्र रचा गया था। इस कार्य में विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधिशासी अभियंता अभिनव तिवारी और उनके कार्यालय के 5 सहायक शामिल रहे हैं। जांच में भ्रष्टाचार की योजना उजागर होने पर सभी को शनिवार को सस्पेंड कर दिया गया। उसी दिन मऊ शहर कोतवाली में इनके खिलाफ फ्राड करने का मुकदमा दर्ज कराया गया। यह मुकदमा अधीक्षण अभियंता आनंद पांडेय ने दर्ज कराया है। रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरु कर दी है।
यह सभी लोग हुए थे नामजद
धोखाधड़ी की धाराओं में नामजद किए गए आरोपियों में विद्युत वितरण खंड प्रथम के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अभिनव तिवारी, कार्यकारी सहायक संतोष कुमार सैनी, सुमित कुमार यादव, लेखाकार कार्य घरभरन, तत्कालीन कार्यकारी सहायक मिथिलेश कुमार यादव, तत्कालीन लेखाकार कार्य रमेश कुमार यादव शामिल थे।
भुगतान के लिए बिलों पर बना दिए थे हस्ताक्षर
अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण खंड मऊ आनंद पांडेय की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में कहा गया था कि वितरण खण्ड प्रथम, मऊ के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में ओ एण्ड एम मद में ईआरपी प्रणाली पर 17 करोड़ 9 लाख 4 हजार 884 रुपये बीजको को भुगतान हेतु अपलोड किया गया। बगैर कार्य कराए फर्जी बिलिंग के आधार पर इस धनराशि को भुगतान कराने की साजिश रची गई थी, मापन पुस्तिका व बिलों पर अधिशासी अभियंता समेत सभी आरोपियों ने हस्ताक्षर भी बना दिया था।
विभागीय जांच में दोषी करार
फर्जी भुगतान का मामला संज्ञान में आने पर प्रबन्ध निदेशक, पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, वाराणसी द्वारा 13 जून 2023 3 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। जांच समिति द्वारा यह निष्कर्षित किया गया कि खण्ड द्वारा ईआरपी प्रणाली पर उक्त अपलोड किये गये बीजक/अनुबन्ध प्रपत्र कार्यों का मापन, निविदा/अनुमोदन प्रपत्र प्रथम दृष्टया कूटरचित प्रतीत होते हैं इस प्रकार खण्ड में वर्तमान कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा कूटरचित प्रपत्रों को ईआरपी प्रणाली पर अपलोड कर विभिन्न एजेन्सियों को भुगतान कराने का प्रयास कर निगम को गम्भीर वित्तीय हानि पहुंचाने का प्रयास किया गया। यह बने मुकदमे के गवाह शहर कोतवाली में दी गई तहरीर में अधीक्षण अभियंता है आनंद पांडेय के अलावा मनीष कुँवर कार्यकारी सहायक विद्युत वितरण मण्डल मऊ, अटल कुमार सिंह कार्यकारी सहायक विद्युत वितरण मण्डल मऊ, संजय कुमार यादव कार्यालय अधीक्षक विद्युत वितरण मण्डल मऊ का भी बतौर गवाह हस्ताक्षर है। इस बाबत बुलंद आवाज के सम्पादक ने अधीक्षण अभियंता आनंद पांडेय से बात की तो उन्होंने बताया कि आरोपियों द्वारा फर्जी भुगतान की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। फर्जी भुगतान हो पाता, इससे पहले ही मामला प्रकाश में आ गया।
यदि यह मामला प्रकाश में नहीं आता, तो 17 करोड़ से अधिक का गबन करने वाले थे बिजली विभाग के अधिकारी।