Sunday, 29 October 2023 00:00
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कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय को हर हाल में ये संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस उनके हर सुख-दुख में खड़ी है. उनके ख़िलाफ़ हर ज़्यादती को मुद्दे के रूप में कांग्रेस उठाती रहेगी. आजम खान परिवार के करीब आने के लिए कांग्रेस इसी सिद्धांत का हवाला दे रही है.
2022 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाताओं का भरोसा सपा से जो जुड़ा वो मैनपुरी-खतौली से लेकर घोसी तक वो जुड़ाव जारी है. यही कारण है कि सपा अध्यक्ष अपने सबसे भरोसेमंद और उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े मुस्लिम नेता आजम खान के करीब किसी और पार्टी या नेता को देखना तक पसंद नही कर रहे हैं. यही कारण है कि आजमखान से जेल मे मिलने जा रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के ख़िलाफ़ सपा नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है.कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय को हर हाल में ये संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस उनके हर सुख-दुख में खड़ी है.उनके ख़िलाफ़ हर ज़्यादती को मुद्दे के रूप में कांग्रेस उठाती रहेगी. आजम खान परिवार के करीब आने के लिए कांग्रेस इसी सिद्धांत का हवाला दे रही है.
ये राजनैतिक तथ्य भी कम रोचक नही है कि आज जो कांग्रेस आजमखान के करीब आने की कोशिश में है उसी कांग्रेस विरोध से आजमखान की राजनीति शुरू हुई. रामपुर के नवाब खानदान जो कांग्रेसी रहे थे कभी उनके ख़िलाफ़ जनांदोलन खड़ा कर आजमखान जननेता बने थे. आजम हमेशा से सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह के करीबी रहे हैं. मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव सरकार में आजम हमेशा नम्बर दो रहे हैं. उनकी बात काटने की हिम्मत मुख्यमंत्री तक में नहीं होती थी. चाहे 2012 का विधानसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव मुस्लिम बहुल इलाकों में जीत दिलाने की ज़िम्मेदारी आजमखान की ही होती थी और आजम ने ये साबित भी किया कि वो सपा और मुस्लिमों के बीच एक मजबूत सेतु हैं.
मुस्लिम वोट बैंक पर कांग्रेस-सपा आमने सामने
सपा नेता अखिलेश यादव हर मंच से आजम खान के लिए पार्टी के संघर्ष करने की बात कर रहे हैं तो इसके पीछे मुस्लिम वोटबैंक ही है. यूपी में 30 से अधिक लोकसभा सीटों पर करीब 21 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. 12 लोकसभा सीटों पर करीब 35 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं जबकि 5 सीटें ऐसी हैं जहां करीब 45 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. ये आंकड़े ऐसे हैं जो सहज ही सेक्युलर पॉलिटिकल पार्टी के लिए मुस्लिम प्रेम की वजह बन जाए. पूर्वांचल की तुलना में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई संसदीय क्षेत्र मुस्लिम बहुल हैं और ये वहां डिसाइसिव रोल प्ले करते हैं. उत्तर प्रदेश के जिन संसदीय क्षेत्रों में ये निर्णायक स्थिति में हैं उनमें रामपुर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, कैराना, सहरानपुर, बहराइच, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, घोसी, आजमगढ़, गाजीपुर, बरेली और नगीना शामिल हैं.
मुस्लिम प्रेम पर सपा और कांग्रेस आमने-सामने
मुस्लिम प्रेम पर सपा और कांग्रेस अब खुलकर एक दूसरे के सामने आ गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बीजेपी द्वारा पीड़ित आजम खान के साथ कांग्रेस के खड़े होने की बात कर रहे हैं. अंशु अवस्थी ने कहा कि बीजेपी सरकार जानबूझकर आजमखान के ख़िलाफ़ फर्जी मुकदमे करा रही है और कांग्रेस इसका विरोध करते रहेगी. कांग्रेस मुसलमान-किसान, पीड़ित और शोषितों की लड़ाई लड़ती रहेगी. चाहे लखीमपुर की घटना हो या उन्नाव की या फिर हाथरस की कांग्रेस पीड़ितों के साथ खड़ी रही है. कांग्रेस प्रवक्ता के बयान पर सपा प्रवक्ता फखरुल चंद ने एक तरह से हमला बोलते हुए कहा कि आजम खान को लेकर सपा और कांग्रेस में कोई अंतर नहीं है. पहले कांग्रेस आजमखान के खिलाफ फर्जी मुकदमे के लिए राज्यपाल को ज्ञापन देती थी अब बीजेपी फर्जी मुकदमे लिखवा रही है.
सपा आजम खान के हक की लड़ाई लड़ते रहेगी
आजम खान सपा के नेता हैं और सपा उनके हक़ की लड़ाई लड़ते रहेगी. कभी उत्तर प्रदेश कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. कांग्रेस के कई बड़े नेता उत्तर प्रदेश से आते थे. तब मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह कांग्रेस के साथ थे. साल 2009 में अंतिम बार कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही थी. तब उसके 21 सांसद यहां से लोकसभा में पहुंचे थे. उस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने खुलकर कांग्रेस का समर्थन किया था. विशेष रूप से पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस के पक्ष में समर्थन ज्यादा दिखा. फिर से एक बार कांग्रेस मुस्लिम वोटबैंक को साधने की जुगत लगा रही है आजमखान के प्रति कांग्रेस का प्रेम यूं ही नही हिलोरे ले रहा है.