Thursday, 14 September 2023 00:00
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रांची-वाराणसी इकोनमिक कॉरिडोर का काम शुरू हो गया है। रांची से वाराणसी तक बनने वाली सड़क पर सिविल कार्य और मुआवजे पर करीब सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। कारिडोर के बनने के बाद रांची से वाराणसी की 10 घंटे की यात्रा सिमट कर करीब छह घंटे हो जाएगी।
रमना (गढ़वा)। रांची-वाराणसी इकोनमिक कॉरिडोर का काम शुरू हो गया है। रांची से वाराणसी तक बनने वाली सड़क पर सिविल कार्य और मुआवजे पर करीब सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। कारिडोर के बनने के बाद रांची से वाराणसी की 10 घंटे की यात्रा सिमट कर करीब छह घंटे हो जाएगी। 260 किलोमीटर की यह यात्रा लोहरदगा के कुड़ू से आगे गढ़वा बाइपास से खजुरी और यूपी के विंढमगंज होते हुए बनारस तक पूरी होगी।
हजारों की संख्या में कटेंगे पेड़
वर्ष 1914 के भूमि सर्वे से पहले से अस्तित्व में रही यह सड़क (एनएच 75) अब रांची-वाराणसी इकोनमिक कारिडोर बनने जा रही है। इस सड़क पर यात्रा करने वाले हजारों लोगो को राहत तो मिलेगी, लेकिन सड़क चौड़ीकरण करने के दौरान सैकड़ो साल पुराने इमारती पेड़ भी काटे जाएंगे। कटने वाले पेड़ों की फिलहाल गिनती पूरी नहीं हो पाई है, लेकिन, अनुमानित संख्या लगभग एक हजार से अधिक बताई जा रही है।
100 साल से भी पुराने सैंकड़ों पेड़ कट जाएंगे
एनएच 75 के किनारे काफी हरे-भरे महुआ, आम, सागवान, शीशम सहित कई इमारती पौधे सालों से खड़ी हैं। गढ़वा में बन रहे बाईपास को छोड़ दें तो खजुरी से उत्तर प्रदेश के विंढ़मगंज तक कुल 42 किलोमीटर (श्री बंशीधर नगर बाईपास सहित) सड़क बनाई जानी है। सड़क के चौड़ीकरण के दौरान दोनों किनारों पर लगाए गए पेड़ भी काटे जाएंगे। इस क्रम में 100 साल से भी पुराने सैंकड़ों पेड़ कट जाएंगे।
सड़क बनना अच्छी बात है, लेकिन सड़क चौड़ीकरण किए जाने के दौरान सड़क के दोनों ओर लगाए गए वर्षों पुराने पेड़ काटे जाने हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान जो नुकसान होगा इसकी भरपाई पहले कर लिया जाना चाहिए, ताकि लोगों के उपर इसका दुष्प्रभाव कम पड़े- बिरैंची पासवान, रमना
मानव जीवन के लिए विकास के साथ साथ हरियाली भी जरूरी है। सड़क के निर्माण में लगी कंपनी एवं प्रशासन को तत्काल काटे जाने वाले पेड़ों के बदले बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने काम शुरू कर देना चाहिए, ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके- अजय कुमार सिंह, मड़वनिया
रांची-वाराणसी इकोनमिक काारिडोर के निर्माण में काटे जाने वालें पेड़ो की पहचान की जा रही है। पहचान के बाद ही वास्तविक संख्या का पता चल पाएगा। फिलहाल निर्माण कर रही कंपनी को एक पेड़ के बदले 10 पौधे लगाने का निर्देश दिया गया है - गोपाल चंद्र, वन क्षेत्र पदाधिकारी,उत्तरी वन प्रमंडल गढ़वा।