Saturday, 11 November 2023 00:00
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी ने सभी नियुक्तियों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. पिछले छह महीने से प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष जैसे कई अहम पदों पर छह महीने तक नियुक्ति नहीं की गई.
बीजेपी ने बी वाई विजयेंद्र को कर्नाटक का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. विजयेंद्र पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे हैं. अब तक बी वाई विजेंद्र के पास प्रदेश में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी. उन्हें प्रदेश का कमान सौंपने के पीछे बीजेपी की एक खास रणनीति है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये बीजेपी के इस फैसले को अहम बताया जा रहा है. जानकारों के मुताबिक विजयेंद्र को कर्नाटक का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के पीछे बीजेपी की मंशा और रणनीति लिंगायत वोटों को लामबंद करना है.
दरअसल सितंबर के आखिर में एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस से गठबंधन का एलान करने के साथ ही ये तय हो गया था कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष गैर वोक्कालिगा समुदाय से बनाएगी. ऐसे में कर्नाटक की राजनीति में मजबूत संख्या बल और बीजेपी के पारंपरिक वोटर रहे लिंगायत समुदाय के नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिया जाना लगभग तय था.
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े और कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा को बताया जाता है. मगर येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाने के बाद लिंगायत समाज में नाखुशी फैली थी. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले लिंगायतों की नाखुशी की भनक लगने के बाद बीएस येदियुरप्पा को पार्टी ने अपनी सबसे अहम इकाई संसदीय बोर्ड सदस्य बनाया और विधानसभा चुनाव में येदियुरप्पा और उनके बेटे बी वाई विजयेंद्र को प्रचार समिति में जगह दी थी लेकिन तब तक देरी हो गई थी.
सांगठनिक नियुक्तियों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी ने कर्नाटक में सभी सांगठनिक नियुक्तियों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. क्योंकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कर्नाटक में कोई भी फैसला सोच समझकर लेना मुनासिब समझा, लिहाजा कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कोई भी नियुक्ति 6 महीने तक नहीं की गई. अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने बीवाई विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपनी पारंपरिक लिंगायत समूह को लामबंद करने की योजना बनाई है.
बीएल संतोष को इस फैसले से अलग रखा
इससे एक बात और साफ हो गई है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष को कर्नाटक के इस फैसले से अलग रखा. क्योंकि पार्टी के जानकारों का मानना है की बीएल संतोष कर्नाटक में येदियुरप्पा और उनके परिवार के किसी व्यक्ति के हाथ में पार्टी की कमान को जाने देने के विरोधी हैं. बीएल संतोष प्रदेश में अपने करीबी नेता सीटी रवि की पैरोकारी कर रहे थे.
बाकी पदों पर भी जल्द हो सकती है नियुक्ति
माना जा रहा है कि अब प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही 6 महीने लंबित विधानसभा और विधान परिषद में प्रतिपक्ष के पद पर भी बीजेपी शीघ्र फैसला ले लेगी. इसके साथ ही कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौडा ने गुरुवार को एक्टिव पॉलिटिक्स से रिटायरमेंट की भी घोषणा कर दी. माना जा रहा है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर ही गौड़ा ने एक्टिव पॉलिटिक्स से संन्यास लेने की घोषणा की.
लोकसभा चुनाव में हो सकता है बड़ा उलटफेर
पार्टी सूत्रों के मुताबिक सदानंद गौड़ा बेंगलुरु उत्तर से लोकसभा सदस्य हैं आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी वहां से मांड्या की निर्दलीय सांसद सुमालता को उतार सकती है. सुमालता की लोकसभा सीट एनडीए गठबंधन में आने के बाद जेडीएस मांग रहा था. अब सदानंद गौड़ा के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में बेंगलुरु उत्तर की सीट सुमालता को देकर बीजेपी जेडीएस की मांग को आसानी भी मान लेगी.