Friday, 06 October 2023 00:00
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वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के प्लान के साथ आज गृह मंत्री अमित शाह बड़ी बैठक करने वाले हैं. देश के कमोबेश दस राज्य वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. गृह मंत्री की उन राज्यों में विकास के कार्य को आगे बढ़ाकर और बुनियादी ढांचे को मजबूत करके इन्हें जड़ से मिटाने की कोशिश है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज दिल्ली के विज्ञान भवन में वामपंथी उग्रवाद पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे. आज सुबह 11 बजे शुरू होने वाले इस बैठक में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित रहे राज्य बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल राज्यों के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री या उनके प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे.
एक निश्चित अंतराल पर होने वाली गृह मंत्रालय की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर उग्रवाद को समूल खत्म करना है. गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद के खतरे से निपटने के लिए साल 2015 से एक ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ पर काम कर रहा है. इसके तहत हिंसा के प्रति जीरो टॉलरेंस बरतने की बात कही गई है. इसके साथ ही विकासात्मक गतिविधियों पर एक बड़ा जोर है ताकि विकास का फायदा प्रभावित क्षेत्रों में गरीबों और कमजोर लोगों तक पहुंच सके.
वामपंथी उग्रवाद से निपटने का केंद्र का प्लान
वामपंथी उग्रवाद कई दशकों से एक बड़ी चुनौती रही है. ऐसे तो यहा राज्यों का मामला है लेकिन केंद्र सरकार ने इससे संयुक्त रूप से साथ आकर निपटने का फैसला किया है. इसी जद्दोजहद में गृह मंत्रालय ने साल 2015 में एक राष्ट्रीय नीति कार्य योजना शुरू की थी. इसके बाद से हालात की कड़ाई से निगरानी की जा रही है. विकास कार्यों पर जोर दिया जा रहा है. इस नीति के तहत, गृह मंत्रालय सीएपीएफ बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टर और यूएवी और इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) और विशेष इंडिया रिजर्व बटालियन (एसआईआरबी) जैसी सुविधाएं देकर राज्यों की मदद कर रहा है.
वामपंथी उग्रवाद से निपटने में राज्यों को ऐसे मिलती है मदद
केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद से निपटने में राज्यों को और भी ज्यादा मदद दे रही है. जैसे राज्य पुलिस को मॉर्डनाइज करना, पुलिस बल को खास ट्रेनिंग देना, सुरक्षा संबंधी होने वाले खर्च और बुनियादी ढांचे के लिए फंड मुहैया कराना शामिल है. कई महत्वपूर्ण पहलों में 17,600 किलोमीटर सड़क निर्माण को मंजूरी देना शामिल है. प्रभावित राज्यों में दूर दराज के इलाकों में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है. बैंक, एटीएम और अन्य जरूरी सुविधाएं दी जा रही है.