पश्चिम बंगाल राशन घोटाले में छापेमारी के दौरान ईडी को एक अहम डायरी मिली है, जिसमें लेनदेन सहित कई महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज है. वहीं ईडी ने अपनी कार्रवाई के दौरान 16 करोड़ रुपए सीज भी किए हैं. अलग-अलग विभागों से ईडी ने 100 से ज्यादा स्टांप भी बरामद किए हैं.
वेस्ट बंगाल राशन घोटाले में ईडी को बड़ी कामयाबी मिली है. ईडी को रेड के दौरान इस घोटाले से जुड़ी एक अहम लाल डायरी मिली है, जिसमें राशन घोटाले से जुड़े लोगों के नाम कोड वर्ड में लिखें हैं. पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिया मालिक के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी को मैरून रंग की डायरी मिली. इस डायरी में घोटाले का पूरा लेखा-जोखा दर्ज है. ईडी ने इस डायरी को जब्त कर लिया है.
इतना नहीं डायरी में कैश और रसीदों की पूरी जानकारी है. ईडी सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान बकीबुर रहमान की तीन शेल कंपनियों का पता चला, जिसमें डमी डायरेक्टर थे और जिनके जरिए राशन की खरीद फरोख्त हो रही थी. ये तीन कंपनियां हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड, ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेसियस क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से हैं. इन तीन कंपनियों में अवैध तरीके से 20 करोड़ से ज्यादा रुपए आए.
मंत्री को जाता था पैसा
बकीबुर रहमान ने बताया कि इन कंपनियों का पैसा लोन के रूप में फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर ज्योतिप्रिया मालिक को जा रहा था और वो इसके लाभार्थी हैं, क्योंकि लोन वापस नहीं लिया गया. वहीं इस संबंध में आगे की जांच से पता चला कि तीन कंपनियों के पहले निदेशक और शेयरधारकज्योतिप्रिया मल्लिक की पत्नी मनिदीपा मल्लिक और उनकी बेटी प्रियदर्शिनी मलिक थीं. इन कंपनियों में बोगस शेयर प्रीमियम और अनाज के व्यापार से मिले फायदे के नाम पर पैसा जमा किया गया. इतना ही नहीं इन कंपनियों से 20 करोड़ से ज्यादा रुपया बकीबुर रहमान के साले के बैंक एकाउंट में गए.
सीज हुआ 16 करोड़ रुपए
26 अक्टूबर को छापेमारी के दौरान 16 करोड़ रुपया सीज किया गया. छापेमारी के दौरान ईडी ने ज्योतिप्रिया मालिक के घर से इन कम्पनियों के स्टांप बरामद किए. उनके घर में काम करने वालों के बयान दर्ज हुए. उन्होंने भी बताया की इन कंपनियों में डायरेक्टर मलिक के परिवार के लोग हैं. छापेमारी के दौरान एक शख्स में एक नंबर MIC नाम से लिखा मिला, जिसको 68 लाख का पेमेंट दिया हुआ दिखाया गया है. वह दरअसल मिनिस्टर ऑफ इंचार्ज थे, जो असल में फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर थे. ये पैसे बकीबुर रहमान के कहने पर मंत्री को दिए गए.
बुक कराए प्लाइट के टिकट
बकीपुर रहमान ने मलिक और उसके परिवार के लिए फ्लाइट के टिकट भी बुक कराए इसके भी सबूत मिले. आगे की जांच के दौरान यह भी पता चला कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 के दौरान मोनादीपा मलिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 6.03 करोड़ रुपए जमा किए गए थे. नवंबर 2016 के दौरान प्रियदर्शनी मलिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 3.79 करोड़ रुपये जमा किए गए थे. 4 अप्रैल 2016 को ज्योतिप्रिया मालिक ने पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में जो एफिडेविट फाइल किया था. उसमे अपनी पत्नी के खाते में केवल 45 हजार रुपए दिखाए थे, जबकि अगले ही साल उनके खाते में 6 करोड़ से ज्यादा रुपए आ गए.
कौन है बालूदा, डायरी में दर्ज है नाम
ज्योतिप्रिया मालिक के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान एक मैरून रंग की डायरी ईडी को मिली, जिसमें घाटाले से जुड़े पैसों और रसीदों की पूरी जानकारी है. इस डायरी में एमआईसी ज्योतिप्रिया मलिक का नाम ‘बालूदा’ के नाम से दर्ज है. साथ ही डायरी में तीन कंपनियों के नाम बताए गए हैं. इसमें एनपीजी का नाम था और लेनदेन के बारे में जानकारी थी.
डायरी में दर्ज है कैसे मिला कैश
डायरी में लिखा है कि ‘बालुदा’ यानी एमआईसी श्री को कैश कैसे मिला जो ज्योतिप्रिया मलिक और उसकी तीन कंपनियों में जमा किया गया था. जिन्हें पहले शारदा आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (ग्रेसियस क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड), शारदा फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड) और हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था.
कब दर्ज हुआ घोटाले का केस
पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस घोटाले को लेकर 22 फरवरी 2020 से लेकर 2022 तक कई केस दर्ज किए.पीडीएस राशन अवैध तरीके से बेचते और इनके कई वितरक गिरफ्तार किए गए. ये राशन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत वेस्ट बंगाल पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए सप्लाई होने थे. राशन सप्लाई की जिम्मेदारी सरकार ने एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को दी थी, जिसका डायरेक्टर बकीबुर रहमान था. छापेमारी के दौरान एक शख्स के यहां से डायरी मिली जिसमें खरीद फरोख्त की पूरी जानकारी थी. उस शख्स ने बताया की वो अवैध तौर पर पिछले 8-10 सालों से पीडीएस राशन की खरीद फरोख्त कर रहा था.
बाजार में बिकता था राशन
जांच के दौरान यह भी पाया गया कि एक व्यक्ति के पास पीडीएस राशन बेचने का लाइसेंस है, लेकिन वह इस राशन को ओपन मार्केट में बेचता है. ये पूरा राशन एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड से आ रहा था, जो मिल मालिक की मिलीभगत से खुले बाजार में अवैध तरीके से बेचा जा रहा था. वहीं फ्लोर के मैनेजर ने अपने बयान में बताया कि वो सरकारी वितरकों को 20-40 प्रतिशत कम राशन सप्लाई करता था और ये राशन प्राइवेट दुकानदारों को जाता था सबूत के तौर पर कई रजिस्टर जब किए गए, जिसमें पेमेंट और ऐसे वितरकों की पूरी जानकारी थी.
बरामद हुए 100 से ज्यादा स्टांप
ईडी ने अपनी छापेमारी में पश्चिम बंगाल सरकार के अलग- अलग विभागों के 100 से ज्यादा स्टांप बरामद किए. आरोपी बकीबूर रहमान ने माना की वो कई साल से इस गोरखधंधे में लगा है. बकीबर रहमान को 14 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया. रहमान ज्योतिप्रिया मलिक का बेहद करीबी माना जाता है.