Friday, 13 October 2023 00:00
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रिट याचिका सी संख्या 1997 का 79 सुरेश चंद्र शर्मा बनाम अध्यक्ष यूपीएसईबी एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया जाता है कि निगम के कर्मचारियों के अधिकारियों के स्थानांतरण/तैनाती के सभी प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के पहले स्वतंत्र निर्वाचन आयोग के समक्ष रखना जाना चाहिए और समिति योग्यता के आधार पर स्थानांतरण नीति के दिशा निर्देशों के आधार पर स्थानांतरण/तैनाती की जायेगी..... तो क्या अधीशाषी अभियन्ता जय सिंह के मामले में यह पहल की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2017 के उपरान्त समस्त स्थानांतरण/तैनाती अवैध है, किसी भी मामले में अनुमोदन नहीं लिया गया। किसी को कोई शक न हो, तो इसके लिए बिना मौसम बरसात में कई अधिकारीयों का स्थानांतरण किया गया।
"कहीं पर निगाहें... कहीं पर निशाना" ... इस कहावत के साथ मध्यांचल विधुत वितरण निगम में आज का दिन आखिरकार दिन काला अध्याय के रूप में दर्ज हो ही गया, जिस प्रकार से एक प्लानिंग के तहत उपभोक्ता के आउटफिट पर आपत्ति जताने वाले अधिशासी अभियंता जय सिंह का स्थानांतरण किया किया गया है, उससे यह साफ है यह स्थानांतरण उपभोक्ता के आउटफिट पर है ही नहीं, बल्कि स्थानांतरण मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से लगभग 5000 उपभोक्ताओं को दरकिनार करते हुए 3500 किलोवाट के संयोजन से सम्बन्धित है, जिसे अधिशासी अभियंता जय सिंह ने बिना आदेश के मुख्य अभियन्ता अनिल तिवारी व प्रबन्ध निदेशक भवानी सिंह खं़ंगारौत के असीमित दबाव के बाद भी उपभोक्ता हित में संयोजन नहीं जोड़ा, इसी मामले में इसके पूर्व तत्कालीन अधिशासी अभियंता रीतेश आन्नद को अपने तत्कालीन अधिक्षण अभियन्ता को पत्र लिखकर विरोध करने पर एक उपभोक्ता के शिकायत पर प्री प्लान के तहत हटाया गया था।
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यदि हम बात करते है लेसा ट्रांस गोमती के अंतर्गत मुंशीपुलिया डिवीजन के अधिशासी अभियंता जय सिंह पर उपभोक्ता के साथ अमर्यादित व्यवहार किए जाने के मामले का संज्ञान में लेकर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड मुख्यालय से संबद्ध करने का, तो उपभोक्ता के आउटफिट पर क्या अधिशासी अभियंता जय सिंह ने सवाल उठाएं थे.. यदि हॉ, तो हम अधिशासी अभियंता को दोषी मान सकते है, यदि नहीं... तो यह तत्कालीन अधिशासी अभियंता रीतेश आनन्द के ऊपर किये गये कार्रवाई की पुनरावृत्ति हुई है .... यह कारवाई सिर्फ मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन के बदले दो बिला फ्लैट के चाबी से जुड़ा है, जिससे तत्कालीन अधिशासी अभियंता रीतेश आनन्द की तरह अधिशासी अभियंता जय सिंह को दूध में से मक्खी की निकाल फेका।
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मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक द्वारा जनप्रतिनिधियों व सरकार के बाद, आज सर्वोच्च न्यायालय के भी आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी गयी है। बताते चले कि एक उपभोक्ता का विडियो वायरल सोशल मीडियां प्लेटफार्म पर होता है, जिसमे वह एक छोटी बच्ची को ले कर लेसा अन्तगर्त मुंशी पुलिया डिविजन कार्यालय पर हाफ पैट पहन कर पहुँच जाता है, जैसे वो अपने गॉव में टहल रहे हो और मिलने पहुंच जाते है अधिशासी अभियंता से .. जहाँ पर बैठे सुरक्षा गार्ड उनके पहनावे को ले कर आपत्ति करता है, जिससे उपभोक्ता बहस करते हुए एक वीडियो बनाकर सोशल नेटवर्किंग साइट पर ऊर्जा मंत्री को पोस्ट कर देते है, फिर क्या था मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन को लेकर पहले से खिसयाये प्रबन्ध निदेशक ने समक्ष जब यह मामला आया, तब बिना कोई हकीकत जाने अधिशासी अभियंता जय सिंह को चलता करने का आदेश दे दिया जैसे कि पहले से ही मैच फिक्स हो। इस सन्दर्भ में अधिशासी अभियंता जय सिंह से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो अधिशासी अभियंता जय सिंह ने बताया कि कार्यालय के अन्दर उपभोक्ताओं के द्वारा जमा नगद धनराशि का मिलान व गिनती हो रही थी, तो इस समय किसी बाहरी व्यक्ति को कार्यालय के अन्दर कैसे जाने दिया जा सकता है।
खैर देर शाम होते होते अधिशासी अभियंता जय सिंह का स्थानांतरण आदेश सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तैरने लगा ... अब सवाल यह उठता है कि क्या मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबन्ध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत ने उस अभियन्ता को हटाने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार पहले से ही अधिशासी अभियंता जय सिंह का स्थानांतरण अनुमोदन ले कर रखा था, क्योंकि प्रबन्ध निदेशक कार्यालय द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप संख्या 2228 के कॉलम 01 के अनुसार साफ साफ लिखा है कि उक्त तैनाती के आदेश मा० सर्वोच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका संख्या 79/1997 में दिये गये अन्तिम आदेश दिनांक 21.03.07 के द्वारा पारित निर्देशों के अधीन निर्गत किये जा रहे हैं........ इसका मतलब यह है कि उपरोक्त स्थानांतरण मा० सर्वोच्च न्यायालय के अनुपालन में अनुमोदन लिया जा चुका है, तो प्रबन्ध निदेशक कार्यालय से अपेक्षा की जाती है कि अधिशासी अभियंता जय सिंह का स्थानांतरण अनुमोदन पत्र को सार्वजनिक करते हुए हम मीडिया बैनर की बोलती बन्द करे। यदि किसी भी कारण प्रबन्ध निदेशक कार्यालय अधिशासी अभियंता जय सिंह का स्थानांतरण अनुमोदन पत्र को सार्वजनिक नहीं करते, तो मीडिया जगत बिना अनुमोदन के इस अवैध स्थानांतरण को उच्चतम न्यायालय के आदेश का खुला उल्लंघन मानते हैं... यहीं नहीं यह एक बडी साजिश के तहत मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से लगभग 5000 उपभोक्ताओं को दरकिनार करते हुए 3500 किलोवाट संयोजन से सम्बन्धित माते है। खैर जिस प्रकार से अधिशासी अभियंता का स्थानांतरण किया गया, यह तो तय है कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबन्ध निदेशक भवानी सिंह खं़ंगारौत की मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के प्रति वफादारी प्रतीत होती है।
खैर कारण कुछ भी हो, सिर्फ एक विडियों के आधार अधिशासी अभियंता जय सिंह का स्थानांतरण करना मध्यांचल विधुत वितरण निगम में आज का दिन आखिरकार दिन काला अध्याय के रूप में दर्ज हो ही गया।