Wednesday, 08 November 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश में विदेशी विश्वविद्यालय परिसर भारत में अध्ययन की सुविधा प्रदान करेंगे और एनईपी 2020 में की गई परिकल्पना के अनुसार एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण भी बनाएंगे. ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों आपसी समृद्धि व वैश्विक कल्याण के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और सांसद जेसन क्लेयर के साथ मंगलवार को गांधीनगर में वॉलोन्गॉन्ग और डीकिन विश्वविद्यालयों के नए बनने वाले परिसरों का दौरा किया. उन्हें परिसर की प्रगति और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई. मंत्रियों ने आरंभ (द बिगिनिंग) नामक एक कार्यक्रम में भाग लिया. इसमें गिफ्ट सिटी में परिसरों के उद्घाटन की औपचारिक रूप से घोषणा की गई.
भारत की धरती पर विदेशी विश्वविद्यालयों का खुलना राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की परिकल्पना के अनुरूप है. आरंभ कार्यक्रम ने अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की. डीकिन विश्वविद्यालय और वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने कोविड-19 महामारी जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति पर महत्वपूर्ण बढ़ोतरी पर प्रकाश डालते हुए दो देशों के बीच साझेदारी के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने भारत में परिसरों के खुलने के साथ शुरू होने वाले पाठ्यक्रमों सहित भविष्य की योजनाओं को साझा किया.
धर्मेंद्र प्रधान ने छात्र और शैक्षणिक समुदाय को दी बधाई
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने छात्र और शैक्षणिक समुदाय को नए ‘आरंभ’ के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि देश में विदेशी विश्वविद्यालय परिसर भारत में अध्ययन की सुविधा प्रदान करेंगे और एनईपी 2020 में की गई परिकल्पना के अनुसार एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण भी बनाएंगे. धर्मेंद्र प्रधान ने उल्लेख किया कि अवसरों की भूमि- गिफ्ट सिटी में इन दो विश्वविद्यालयों के परिसर खोलना छात्र समुदाय के लिए एक ‘उपहार’ है. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के छात्र और संकाय इस तरह के प्रयासों से मिलकर कार्य करेंगे, अध्ययन करेंगे और आगे बढ़ेंगे.
उन्होंने कहा, यह परिवर्तनकारी नीति ‘स्वदेश में अंतर्राष्ट्रीयकरण’ पर जोर देती है, जिसका लक्ष्य हमारे अपने देश के भीतर एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाना है. दोपहर में दोनों मंत्रियों ने ‘रिसर्च डॉयलॉग: न्यू होराइजन्स इन रिसर्च कलेबोरेशन’ सम्मेलन को संबोधित किया. इस सम्मेलन का उद्देश्य एक सफल अनुसंधान इकोसिस्टम में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए नवीन अवसरों की पहचान करना था. सम्मेलन में ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल, भारत के प्रमुख उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.
‘ऑस्ट्रेलिया-भारत दोनों अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध’
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए नए अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से ‘रिसर्च डॉयलॉग’ में अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों आपसी समृद्धि व वैश्विक कल्याण के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. दोनों मंत्रियों ने उद्योग शिक्षा साझेदारी पर शिक्षाविदों और उद्योग जगत के प्रमुखों से मुलाकात की, जहां शिक्षा-उद्योग संबंधों को मजबूत करने, विश्वविद्यालय साझेदारी के माध्यम से उद्योग को लाभ पहुंचाने, अनुसंधान और विकास सहयोग आदि पर चर्चा हुई.