Tuesday, 09 May 2023 00:00
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केरल की लड़कियों के लापता होने पर बनी ‘द केरला स्टोरी’ जहां इन दिनों सुर्खियों हैं, तो इसी बीच गुजरात की महिलाओं के लापता होने का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों में गुजरात से 40 हजार से ज्यादा महिलाएं गायब हो चुकी हैं।
नईदिल्ली। द केरला स्टोरी रिलीज़ हो चुकी है..संभव है कि आपने अब तक देख ली हो..ये फिल्म 32000 लड़कियों के कर्नाटक से गायब होने की बात से शुरू हुई थी और रिलीज़ होते-होते तीन लड़कियों की कहानी बनकर रह गई..लेकिन केरल से ऊपर जब आप गुजरात पहुंचेंगे तो आपको 40 हजार लड़कियों के पिछले 5 साल में गायब होने की ज़िंदा खौफनाक कहानी मिलेगी..जिसके आंकड़े खुद NCRB ने जारी किए हैं।
केरल की लड़कियों के लापता होने पर बनी ‘द केरला स्टोरी’ जहां इन दिनों सुर्खियों हैं, तो इसी बीच गुजरात की महिलाओं के लापता होने का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों में गुजरात से 40 हजार से ज्यादा महिलाएं गायब हो चुकी हैं।
एक समाचार पत्र में छपी एक रिपोर्ट में पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य के हवाले से दावा किया है कि लापता लड़कियों और महिलाओं को अन्य राज्यों में भेज दिया जाता हैं। जहां उनसे वेश्यावृत्ति करवाई जाती है।
विधानसभा में उठा था मुद्दा
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक के अनुसार 2016 में 7105, 2017 में 7712, 2018 में 9246 और 2019 में 9268 महिलाएं लापता हुईं। साल 2020 में 8290 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली है। पांच साल में कुल 41,621 महिलाएं लापता हुई हैं। महिलाओं के लापता होने का मुद्दा विधानसभा में उठ चुका है। 2021 में विधानसभा में सरकार ने एक बयान में कहा था कि 2019-20 में अहमदाबाद और वडोदरा में 4722 महिलाएं लापता हो गईं।
मैंने गुमशुदगी के कई मामलों में देखा है कि कई बार लड़कियों और महिलाओं दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है। वहां उनसे जबरन वेश्यावृत्ति करवाई जाती है। पुलिस तंत्र की समस्या यह है कि वे गुमशुदगी की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते हैं, जबकि ये मामले हत्या के मामलों से ज्यादा गंभीर हैं- सुधीर सिन्हा, पूर्व IPS सदस्य, गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग
पुलिस नहीं करती है जांच?
पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य कहते हैं सुधीर सिन्हा ने कहा कि पुलिस व्यवस्था की समस्या यह है कि वह गुमशुदगी के मामलों को गंभीरता से नहीं लेती है। ऐसे मामले हत्या से भी गंभीर होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब कोई बच्चा लापता हो जाता है तो माता-पिता अपने बच्चे के लिए सालों तक इंतजार करते हैं और गुमशुदगी के मामले की हत्या के मामले की तरह ही सख्ती से जांच की जानी चाहिए। सिन्हा ने कहा कि लापता व्यक्तियों के मामलों की पुलिस द्वारा अनदेखी की जाती है क्योंकि उनकी जांच ब्रिटिश काल के तरीके से की जाती है।
नहीं मिलती है सफलता
पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. राजन प्रियदर्शी ने कहा कि लड़कियों के लापता होने के लिए मानव तस्करी जिम्मेदार है। अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने देखा कि अधिकांश लापता महिलाओं को अवैध मानव तस्करी में शामिल गिरोह उठा लेते हैं जो उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाते हैं और बेचते हैं। राजन प्रियदर्शी ने कहा कि जब मैं खेड़ा जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) था, तो उत्तर प्रदेश का एक व्यक्ति जो जिले में एक मजदूर के रूप में काम कर रहा था, एक गरीब लड़की को उठाकर अपने गृहनगर ले गया। ले जाया गया और राज्य को बेच दिया गया, जहां उन्होंने खेतों में एक मजदूर के रूप में काम किया। हम उसे बचाने में कामयाब रहे, लेकिन कई मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। कुछ मामलों में ही पुलिस को सफलता मिलती है।