Tuesday, 17 October 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस बहुमत से पीछे रह गई थी. इसके लिए उसने सपा और बसपा का सहयोग लिया था. वहीं, 45 सीटों पर समाजवादी पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है, लेकिन इस लिस्ट के सामने आने के बाद राजनीतिक कलह भी सामने आ गई है. स्पष्ट हो गया है की INDIA गठबंधन का हिस्सा पार्टियों से कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव मैदान में नहीं उतर रही है. क्या ये INDIA गठबंधन में टूट की तरफ इशारा है? अगर कांग्रेस समाजवादी पार्टी या आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही होती तो गठबंधन के प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. समाजवादी पार्टी ने अपने 9 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है.
इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं कि सपा बीजेपी को हराने के लिए हमारा साथ दे. इसमें उनकी भी दिलचस्पी है. मैं अखिलेश यादव को धन्यवाद देता हूं कि उनका उदेश्य बिल्कुल बीजेपी को हराने का है. उन्होंने मुझसे कहा है कि हम मिलकर हराना चाहते हैं. कमलनाथ ने कहा कि हमें भी वहां की स्थानीय स्थिति देखनी है. इसमें भी कई पेच फंस जाते हैं.
2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को एक सीट बिजावर से जीत मिली थी. दरअसल, बिजावर में बड़ी संख्या में यादव और ब्राह्मण आबादी है. सपा विधायक राजेश उर्फ बबलू शुक्ला 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के गिरने के बाद बीजेपी में चले गए. पिछले महीने मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव ने सिरमौर में एक जनसभा कर चुनाव अभियान की शुरुआत की थी.
यादव वोट बैंक पर सपा की नजर
कभी यह माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेगी और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगी हुई सीटों और यादव समाज की बहुल है उन सीटों पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे. दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस बहुमत से पीछे रह गई, तो बहुजन समाज पार्टी के दो विधायकों, एक समाजवादी पार्टी के और चार निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया था.
एमपी में 12 से 14 फीसदी यादव वोट हैं. इसी यादव वोट बैंक पर सपा की नजर है. उसका मेन फोकस यूपी से सटे एमपी के जिलों पर है. बुंदेलखंड में कुल छह जिले हैं. इन छह जिलों में विधानसभा की कुल 26 सीटें हैं. साल 2018 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी 17, कांग्रेस को 7 और एसपी-बीएसपी को एक-एक सीट मिली थी.
सपा ने कई सीटों पर कांग्रेस को दिया था झटका
2018 के चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो 45 सीटों पर समाजवादी पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को कुल मतदान में से 4 लाख 96 हजार 25 वोट ही मिले थे. यानी कुल मतदान का सिर्फ 1.30 फीसदी हिस्सा ही पार्टी हिस्से में आया था. इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी को 2018 के चुनाव में नोटा से भी कम वोट मिले थे. कुल मिलाकर देखें तो साफ है कि यूपी की तरह एमपी में समाजवादी पार्टी मजबूत नहीं है, लेकिन पार्टी ने पिछले चुनाव में कई सीटों पर कांग्रेस को झटका दिया था. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी की तरफ से कांग्रेस को संकेत थे कि वह मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस अकेले ही मैदान में उतरने की तैयारी में है.