Friday, 21 July 2023 00:00
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सऊदी अरब और युनाइटेड अरब अमीरात, गल्फ के इन दो देशों के बीच आमने-सामने की लड़ाई शुरू हो रही है. आइए जानते हैं कि आखिर पारंपरिक रूप से साथ रहे इन दो देशों में तलवार क्यों खिंच गई है?
“युनाइटेड अरब अमीरात ने हमारे पीठ में छुरा घोंपा है. मैं जो उसके साथ जो करूंगा उसे मोहम्मद बिन जायेद अल-नहयान याद रखेगा.” यह धमकी भरे अल्फाज सऊदी अरब के विवादित प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हैं. कहते हैं कि वह यूएई पर विश्वास नहीं करते. गल्फ का सुपर पावर बनने की जद्दोजहद में दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो रही है. एमबीएस ने धमकी दी है कि वह यूएई पर प्रतिबंध लगा देंगे.
एक मीडिया संस्थान वॉल स्ट्रीट जरनल का दावा है कि एमबीएस ने स्थानीय पत्रकारों से गुप्त बातचीत में यूएई को खुली धमकी दी. पत्रकारों से कहा कि उन्होंने यूएई को मांगों की एक लिस्ट भेजी है. चेतावनी दी है कि अगर वे किंगडम के लिए मुसीबत बनेंगे तो वह कड़ी कार्रवाई करेंगे. प्रिंस ने कहा कि “यह उससे भी बदतर होगा जो मैंने कतर के साथ किया.” 2017 में, रियाद ने अबू धाबी और बहरीन के समर्थन से, दोहा पर तीन साल से अधिक समय राजनयिक प्रतिबंध लगा दिया था.सऊदी अरब और कतर के बीच संबंध 2021 में दोबारा बहाल हुए.
कौन होगा गल्फ का सुपर पावर?
गल्फ की इन दो बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों ने कभी साथ में लड़ाई लड़ी है. यमन में 2014 से दोनों साथ थे. दोनों ने अमेरिका के साथ ईरान के न्यूक्लियर डील का एक स्वर में विरोध किया और कतर को काबू करने में भी दोनों देश साथ रहे. अब हालात ये हैं कि दोनों ने ही एक-दूसरे के खिलाफ तलवार निकाल ली है.सऊदी अरब और युनाइटेड अरब अमीरात के बीच असल लड़ाई इस बात की है कि आखिर गल्फ का सुपर पावर कौन बनेगा? गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल में किसका प्रभाव होगा? अपनी अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के जरिए गल्फ को दुनिया के पटल पर कौन रखेगा?
गल्फ में अमेरिका का इंटरेस्ट सीमित
इन दो गल्फ देशों के बीच पारंपरिक रूप से दोस्ताना संबंध रहे हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच दरारें आई हैं. यूएई-सऊदी के बीच जियोपॉलिटकल और आर्थिक प्रभाव की लड़ाई मिडिल ईस्ट और वैश्विक तेल बाजार में अपनी ताकत कायम करने को लेकर है. अब जबकि तेल का प्रभाव कम पड़ रहा है अमेरिका का भी इसमें इंटरेस्ट सीमित है.
मसलन, अमेरिका को इस बात की चिंता है कि अगर दोनों के बीच किसी तरह का बड़ा विवाद पैदा होता है तो ईरान के साथ सुरक्षा गठबंधन में दिक्कत हो सकती है. साथ ही साथ यमन के मामले को हल करने और इजरायल का मुस्लिम देशों के साथ संबंधों को बढ़ाने में मुश्किल पैदा होगी. जहां एक तरफ सऊदी अरब ईरान के साथ अपने संबंध बढ़ा रहा है तो वहीं युनाइटेड अरब अमीरात और इजरायल के बीच भी संबंध स्थापित हो रहे हैं.
यूएई को टक्कर देने का प्रिंस प्लान
तेल पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश में सऊदी अरब और यूएई के बीच सीधे तौर पर टशन पैदा हो गई है. प्रिंस का प्लान है कि क्षेत्रीय मुख्यालयों को रियाद में स्थापित किया जाए, टेक सेंटर स्थापित किए जाएं और लॉजिस्कि केंद्र स्थापित की जाए ताकि इससे विदेशी कंपनियां आकर्षित हों. आसान भाषा में कहें तो प्रिंस दुबई को टक्कर देने के लिए नीतिगत बदलाव कर रहे हैं.
दोनों नेताओं के बीच विवाद अक्टूबर में ओपेक की बैठक में और बढ़ गया था. यूएई का आरोप था कि सऊदी अरब की वजह से उसे तेल उत्पादन में कटौती करनी पड़ी. अमीरात ने ओपेक से किनारा करने का फैसला किया जो सऊदी अरब के लिए मुसीबत बन गया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इन विवादों को खत्म करने की कोशिश भी की. उन्होंने यूएई के सिक्योरिटी एडवाइजर से मुलाकात की. इसके बाद अमीरात सिक्योरिटी एडवाइजर कहते हैं कि यूएई को सऊदी अरब के साथ विवाद में नहीं पड़ना चाहिए. दूसरी तरफ प्रिंस सख्त हैं और कहते हैं कि बख्शेंगे नहीं.