Monday, 18 December 2023 00:00
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मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने उस मिथक को तोड़ दिया, जिसमें कहा जाता था कि कोई भी राजा या शीर्ष राजनीतिक पदाधिकारी प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के गृह स्थान उज्जैन में रात भर नहीं रुकता है।
भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लंबे समय से चली आ रही उस प्रथा को तोड़ दिया कि कोई भी राजा या शीर्ष राजनीतिक पदाधिकारी प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के गृह स्थान उज्जैन में रात भर नहीं रुकता है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा शाही सिंधिया परिवार के लोगों की एक युक्ति हो सकती है। 13 दिसंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले उज्जैन दक्षिण से विधायक यादव शनिवार और रविवार की मध्यरात्रि में यहां से लगभग 190 किलोमीटर दूर पवित्र शहर में ठहरे थे।
इससे पहले, सूत्रों ने कहा था कि उज्जैन दौरे के दौरान मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ राजनीतिक पदाधिकारी रात भर आसपास के इलाकों में रुकेंगे। यादव ने शनिवार रात यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘किसी कारण से (सिंधिया राजघराने की) राजधानी 1812 में उज्जैन से ग्वालियर स्थानांतरित कर दी गई थी। उन्होंने यह किंवदंती छोड़ दी थी कि कोई भी राजा यहां रात में नहीं रुकता है। ऐसा इसलिए था ताकि कोई भी इस क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए यहां न आए। यह उनकी राजनीतिक रणनीति थी।’’
यादव ने कहा, ‘‘भगवान महाकाल सभी के राजा हैं और हम उनकी संतान हैं। क्या भगवान महाकाल केवल नगर निगम सीमा के भीतर ही दिव्य शक्तियों का प्रयोग करेंगे? यदि वह चाहें तो पूरे ब्रह्मांड में कोई बच नहीं सकता है।’’
उज्जैन में हुआ था जबरदस्त स्वागत
इससे पहले मध्य प्रदेश का सीएम बनने के बाद डॉ मोहन यादव जब अपने गृहनगर उज्जैन पहुंचे थे तो उनके स्वागत में जनसैलाब उमड़ आया था। इस मौके पर दशहरा मैदान से स्वागत यात्रा का आयोजन किया गया था। सीएम डॉ. मोहन यादव की इस स्वागत यात्रा में जगह-जगह लोगों ने उनका स्वागत किया था।
सीएम की यह स्वागत यात्रा दशहरा मैदान से शुरू होकर सुराना पैलेस होटल, कंट्रोल रूम तिराहा, वर्षा झोन कॉर्नर से फ्रीगंज गुरूद्वारा होते हुए निखार फैशन की ओर गई थी। इस दौरान शहर के विभिन्न मार्गों पर लोगों ने कतारबद्ध होकर सीएम डॉ. मोहन यादव पर फूलों की वर्षा की थी। इस दौरान छतों से, गैलरी से, स्वागत मंचों से लोगों ने सीएम के ऊपर फूलों की वर्षा की थी। स्वागत यात्रा के लिए शहर में लगभग 300 स्वागत मंच बनाये गये थे।