Sunday, 01 October 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
रिपोर्ट की मानें तो अप्रैल-जून तिमाही में पब्लिक कर्ज सकल देनदारियों का 89.5 प्रतिशत था. लेकिन सरकार की अलग-अलग अवधि वाली ड्यूज सिक्योरिटीज में से लगभग 26.6 प्रतिशत की शेष मैच्योरिटी अवधि पांच साल से कम है.
केंद्र सरकार के ऊपर कर्ज बढ़ता जा रहा है. इससे देश का हर नागरिक कर्जदार होता जा रहा है. कर्ज का आलम यह है कि सरकार के टोटल ग्रॉस लोन में 2.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इससे कर्ज का आंकड़ा 159 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. अगर कर्ज बढ़ने का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो यह आंकड़ा बहुत ही जल्द 160 लाख करोड़ रुपये के भी पार कर सकता है.
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार का कुल सकल कर्ज में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इससे सरकार के ऊपर कर्ज अब बढ़कर 159.53 लाख करोड़ रुपये हो गया. वहीं, अगर हम देश की वर्तमान जनसंख्या 1 अरब 40 करोड़ मानते हैं, तो आंकड़े के मुताबिक देश के प्रत्येक नागरिक के ऊपर अभी 1,13,571 रुपये से ज्यादा का कर्ज है.
तिमाही पहले की तुलना में 2.2 प्रतिशत बढ़ गई
खास बात यह है कि कर्ज में बढ़ोतरी का यह आंकड़ा वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट के जरिए पेश किया है. रिपोर्ट के अनुसार, मार्च के आखिरी हफ्ते में केंद्र सरकार के ऊपर कुल सकल कर्ज 156.08 लाख करोड़ रुपये का था. लेकिन अप्रैल- जून 2023 की तिमाही आते- आते इसमें 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई. पब्लिक जीईबीट मनेजमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तिमाही में सरकार की कुल सकल देनदारियां एक तिमाही पहले की तुलना में 2.2 प्रतिशत बढ़ गई.
एडजस्टमेंट के बाद 2.71 लाख करोड़ रुपये हुआ
बता दें कि फाइनेंस मिनिस्ट्री के बजट डिविजन का पब्लिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ अप्रैल-जून 2010-11 से ही नियमित रूप से लोन मनेजमेंट पर एक तिमाही रिपोर्ट जारी कर रहा है. करंट फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में केंद्र सरकार ने दिनांकित प्रतिभूतियों के जारी/ निपटान के जरिये 4.08 लाख करोड़ रुपये की ग्रॉस अमाउंट कलेक्ट किया, जो एडजस्टमेंट के बाद 2.71 लाख करोड़ रुपये हुआ.
मैच्योरिटी अवधि वाले इश्यूज पर फोकस्ड रहा
इसी तरह अप्रैल-जून तिमाही में इश्यूज की वैट एवरेज यील्ड 7.13 फीसदी दर्ज की गई. जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 7.34 फीसदी थी. वहीं, इश्यू की वैट एवरेज मैच्योरिटी जून तिमाही में 17.58 वर्ष दर्ज की गई जो मार्च तिमाही में 16.58 वर्ष थी. रिपोर्ट की माने तो सैकेंडरी मार्केट मेंट्रांजेक्शन डिल इस तिमाही में 7 से 10 साल की मैच्योरिटी अवधि वाले इश्यूज पर फोकस्ड रहा.