Thursday, 26 October 2023 00:00
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जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा कि नवरात्रि और दिवाली के बीच, करवाचौथ, धनतेरस जैसे कई त्योहार आते हैं. श्राद्ध के आखिर से दिवाली के बीच का समय हिंदू समुदाय के लिए बेहद शुभ होता है. भले ही इस कार्यक्रम को लोगों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के मकसद से तैयार किया गया है, लेकिन पोस्टरों के भाव से संकेत मिलता है कि उनके सांप्रदायिक रंग हो सकते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सांप्रदायिक तनाव भड़कने की आशंका को देखते हुए रामलीला मैदान में अखिल भारतीय मुस्लिम महापंचायत आयोजित करने की इजाज़त नहीं दी. कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘अखिल भारतीय मुस्लिम महापंचायत’ आयोजित करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने का निर्देश देने से इनकार कर दिया.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कार्यक्रम के पोस्टर की जांच की और कहा कि इसमें सांप्रदायिक रंग हो सकते हैं. इसलिए, इस कार्यक्रम को ऐसे समय आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती जब कई हिंदू धार्मिक त्योहार आयोजित किए जा रहे हों. कोर्ट ने यह भी कहा गया ये सभा पुरानी दिल्ली क्षेत्र में बुलाई गई है, जहां सांप्रदायिक तनाव होने की आशंका है.
पोस्टरों के भाव में सांप्रदायिक रंग
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि नवरात्रि और दिवाली के बीच, करवाचौथ, धनतेरस जैसे कई त्योहार आते हैं. श्राद्ध के आखिर से दिवाली के बीच का समय हिंदू समुदाय के लिए बेहद शुभ होता है. भले ही इस कार्यक्रम को लोगों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के मकसद से तैयार किया गया है, लेकिन पोस्टरों के भाव से संकेत मिलता है कि उनके सांप्रदायिक रंग हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पुरानी दिल्ली क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है, जो कि एक संवेदनशील क्षेत्र है क्योंकि अलग-अलग लोग आते हैं. समुदाय वहां रहते हैं और इलाके में पहले भी सांप्रदायिक हिंसा की घटना हो चुकी है.
गुण-दोष के आधार पर विचार करें
मामले पर विचार करने के बाद, कोर्ट ने साफ किया कि याचिकाकर्ता संगठन त्योहार खत्म होने के बाद नई अनुमति के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकता है. कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर याचिकाकर्ता उनसे संपर्क करते हैं तो वे उनके अनुरोध के गुण-दोष के आधार पर विचार करें.
रामलीला मैदान की बुकिंग वापस
आपको बता दें कि यह कार्यक्रम 29 अक्टूबर को मिशन सेव कॉन्स्टिट्यूशन नाम के एक ग्रुप द्वारा आयोजित किया जाना था. जबकि दिल्ली पुलिस को पहले इसकी अनापत्ति दी गई थी, बाद में इसे वापस ले लिया गया था. इसके बाद दिल्ली नगर निगम ने भी बाद में रामलीला मैदान की बुकिंग वापस ले ली थी. एडवोकेट महमूद प्राचा मिशन संविधान बचाओ के राष्ट्रीय संयोजक हैं. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह इसके प्रधान सलाहकार हैं. हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीजी कोलसे संगठन के सलाहकार हैं. इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा भी इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं