Sunday, 15 October 2023 00:00
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विभागीय सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब दो करोड़ से अधिक के ईपीएफ व ईएसआईसी की राशि निविदा पर कार्यरत मीटर रीडरों के खाते में नहीं पहुंचा है। यहीं नहीं अब तक इन निविदा कर्मियों को कार्ड तक भी जारी नहीं किया गया है। ऐसे में पीड़ित निविदा कर्मियों का माली हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ी ही जा रही है।
गाजीपुर । घोटालों के लिए जाना जाता बिजली विभाग एक बार फिर एक घोटाले को लेकर फिर सुर्खियों में है। ताजा मामला पर मीटर रीडिंग का काम करने वाली कम्पनी मेसर्स स्टर्लिंग टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेज प्रा.लि. द्वारा करीब डेढ़ से दो करोड़ के बीच घोटाला किये जाने का मामला सामने आ गया है। इस कम्पनी ने तो मीटर रीडरों का पारिश्रमिक तो दिया, लेकिन प्रति माह उनके वेतन से कटने वाले ईपीएफ व ईएसआईसी की राशि का भुगतान नहीं किया। घोटाले का यह खेल करीब 20 महीने से चल रहा है, शिकायत करने के बाद भी विभाग के किसी भी उच्चाधिकारी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसका नतीजा है कि मीटर रीडिंग के काम में लगे निविदा कर्मियों का माली हालत बद से भी बदतर हो गई है। अभी हाल में ही मेसर्स भारत इंटरप्राइजेज जुनैदपुर हनुमानगंज प्रयागराज कम्पनी के द्वारा निविदा कर्मियों के दो माह का वेतन हजम किये जाने का मामला प्रकाश में आया था।
बताते चले कि मेसर्स स्टर्लिंग टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेज प्रा.लि. द्वारा जनपद में मीटर रीडिंग का कार्य कराया जाता है। पूरे जनपद में इस कम्पनी के द्वारा करीब 300 निविदा कर्मी मीटर रीडिंग के कार्य में लगाये है। इनके वेतन से कटने वाला ईपीएफ और ईएसआईसी का पैसा पिछले 20 माह से इन्हें नहीं मिला है। इस सम्बंध में प्रबंध निदेशक शम्भू नाथ, पूर्वांचल विद्युम वितरण निगम लिमिटेड से भी पत्राचार किया गया। दिखावती रूप से प्रबन्ध निदेशक ने जिले के अधीक्षण अभियंता को इस मामले में उचित कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन कई माह बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब दो करोड़ से अधिक के ईपीएफ व ईएसआईसी की राशि निविदा पर कार्यरत मीटर रीडरों के खाते में नहीं पहुंचा है। यहीं नहीं अब तक इन निविदा कर्मियों को कार्ड तक भी जारी नहीं किया गया है। ऐसे में पीड़ित निविदा कर्मियों का माली हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ी ही जा रही है।
हालात यह है कि निविदा कर्मियों के फंड का करोड़ों रुपये गटक कर कम्पनी बैठ गई और बिजली विभाग के अधिकारी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नही ंकर रहे है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी कम्पनी के लोगों से मिलेजुले है और दोनों की सांठ-गांठ से यह घोटाला हुआ है।
निविदा मीटर रीडरों का ईपीएफ और ईएसआईसी फंड न मिलने के चलते उनकी बीमारी के दौरान भी कम्पनी को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। यदि मीटर रीडर या फिर उसके परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाये तो कम्पनी सीधे तौर पर अपना हाथ उठा लेती है।
नियमतः जब तक ईपीएफ की राशि मीटर रीडरों के खाते में डाल नहीं दिया जाता तब तक उस कम्पनी को अगले माह का भुगतान नहीं होना चाहिए।, लेकिन यहां इस रुल को फालो नहीं किया गया। ऐसे में सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि किन परिस्थितियों में डिस्काम से 20 माह का ईपीएफ जमा नहीं किये जाने के बाद भी कम्पनी का भुगतान कैसे होता रहा।
दस मामले को लेकर विद्युत मजदूर पंचायत के प्रदेश संगठन मंत्री ने निविदा कर्मियों को न्याय दिलाने के लिए प्रबंध निर्देश वाराणसी समेत अध्यक्ष पावर कारपोरेशन लखनऊ, प्रबंध निदेशक लखनऊ, निदेशक वाणिज्य वाराणसी, मुख्य अभिंयता वाराणसी व अधीक्षण अभियंता गाजीपुर पत्र लिख कर अवगत कराया है, जिसमें यह मांग की गई कि तत्काल ही कम्पनी द्वारा मीटर रीडरों के ईपीएफ व ईएसआईसी का फंड उनके खाते में जमा कराया जाये।