तीन राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद देश की राजनीति में चीजें बहुत तेजी से बदल रही हैं. INDIA गठबंधन की 6 दिसंबर को होने वाली चौथी बैठक टल गई है. अखिलेश यादव ने यूपी में कांग्रेस को तेवर दिखा दिए हैं. ममता बनर्जी और नीतीश कुमार दोनों ने INDIA की चौथी मीटिंग से दूरी बना ली. अब चीजें आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस को बहुत कुछ तय करना है.
2024 के सियासी ‘सेमीफाइनल’ का नतीजा आ चुका है, अब तैयारी 2024 के चुनावी फाइनल की है. हर हार के बाद सत्ता पाने वाला जश्न मनाता है और शिकस्त पाने वाला मंथन करता है, लेकिन INDIA के नजरिए से मंथन अभी दूर की कौड़ी दिख रहा है. कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन की 6 दिसंबर को दिल्ली में प्रस्तावित बैठक रद्द करनी पड़ी. ऐसा शायद इसलिए हो रहा है क्योंकि 28 दलों वाले INDIA में शामिल ‘बड़े खिलाड़ियों’ को भी चुनाव नतीजों का इंतजार था. अब चीजें नए सिरे से तय होंगी.
चुनाव नतीजों से पहले कांग्रेस तेवर में थी. दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश और मई 2023 में कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस INDIA गठबंधन में ख़ुद को ‘बड़े भाई’ वाली भूमिका में मानकर चल रही थी, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की करारी हार ने सारी भूमिका और किरदारों को सवालों के घेरे में ला दिया है. अब कांग्रेस के लिए NDA नहीं बल्कि INDIA गठबंधन में शामिल अपने लोग ही बड़ी चुनौती बन सकते हैं.
INDIA की चौथी मीटिंग 3 लोगों की वजह से रद्द हुई?
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी दलों में मंथन के लिए बैठकों का दौर शुरू होना चाहिए था. लेकिन, अब INDIA में शामिल विपक्षी दल सर्वदलीय मंथन से पहले एक अलग ही पिच पर ‘प्रैक्टिस मैच’ खेल रहे हैं. अखिलेश यादव ने बैठक में खुद जाने के बजाय चाचा रामगोपाल यादव को भेजने की बात कही. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पारिवारिक शादी की वजह से 6 दिसंबर वाली बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया. उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, जिसकी वजह से उन्होंने आने में असमर्थता जता दी.
अखिलेश यादव यानी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश में विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा. नीतीश कुमार यानी बिहार में NDA के सामने मजबूती से लड़कर सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री. ममता बनर्जी यानी बंगाल में BJP को लोकसभा में पीछे छोड़ने वाली और विधानसभा चुनाव में BJP से टकराकर लगातार तीसरी बार सत्ता में काबिज रहने वाली हस्ती. INDIA गठबंधन के तीन बड़े दलों का रुख देखते हुए कांग्रेस को दिल्ली वाली बैठक रद्द करनी पड़ी.
अखिलेश-नीतीश-ममता के इनकार की असली वजह क्या है?
यूपी से लेकर पश्चिम बंगाल तक कांग्रेस ना केवल अपनी सत्ता और सीटें बल्कि जनाधार भी खोती जा रही है. यूपी में महज एक लोकसभा सीट (रायबरेली- सोनिया गांधी) पर सिमट चुकी कांग्रेस बिहार और पश्चिम बंगाल में नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के इशारे के बिना ‘पंजे’ को मजबूत नहीं कर सकती. अखिलेश यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी तीनों अपने-अपने दलों के सर्वेसर्वा हैं. अखिलेश पूर्व सीएम और नीतीश-ममता मुख्यमंत्री हैं.
ममता बनर्जी ने INDIA की पहली बैठक से पहले खूब तेवर दिखाए, लेकिन वो नीतीश कुमार के नाम पर आ गईं. वहीं अखिलेश यादव भी नीतीश कुमार की देखरेख में INDIA की बुनियाद रखने पहुंच गए थे. हालांकि, तीन बैठकों के बाद और तीन राज्यों के चुनाव नतीजे आने पर सबका गुस्सा कांग्रेस पर फूट रहा है. लिहाजा अब INDIA को मजबूत करने वाली सियासी हैसियत रखने वाले दल कांग्रेस पर प्रेशर पॉलिटिक्स की आजमाइश कर रहे हैं.
सीटों का बंटवारा ही है A-M-N की दूरी की वजह?
INDIA गठबंधन की अब तक कुल तीन बैठकें हुई हैं. तीनों बैठकों में सबसे अहम किरदार थे- A यानी अखिलेश, M यानी ममता और N यानी नीतीश. इन तीनों के बिना 2024 में INDIA गठबंधन का चुनावी विस्तार और सियासी कामयाबी पर शंका के बादल मंडराते रहेंगे. विपक्षी महागठबंधन की पहली बैठक 13 जून 2023 को पटना में हुई, जिसमें 17 दल शामिल हुए थे. दूसरी बैठक जुलाई 2023 को बेंगलुरु में हुई, जिसमें पटना से 9 दल ज्यादा यानी 26 दल शामिल हुए. INDIA की तीसरी बैठक मुंबई में 31 अगस्त 2023 को हुई. इसमें बेंगलुरू से 2 दल ज़्यादा यानी 28 दल शामिल हुए. लेकिन, अब तीन राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद आलम ये है कि चौथी बैठक हो ही नहीं पा रही है.
अलग-अलग विचारधारा के बावजूद तीन दौर का मंथन हुआ, लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ जमकर हमले हुए. एकजुट रहकर BJP और NDA से लड़ने के बजाय कांग्रेस और सपा आपस में लड़ने लगीं. इससे चुनाव के दौरान जनता में अच्छा संदेश नहीं गया. बहरहाल, अब तीनों राज्यों के नतीजे आने के बाद INDIA के तीन ‘अहम दोस्त’ अपना ‘चौथा कदम’ फूंक-फूंककर रखेंगे.
‘शर्तों’ से उबर पाया तो सत्ता का सपना देखेगा INDIA!
अखिलेश यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी तीनों अब अपनी शर्तों पर INDIA गठबंधन की बैठक का हिस्सा होंगे. वो शर्तें क्या होंगी, इसी पर फिलहाल सब अलग-अलग मंथन कर रहे हैं. अखिलेश यादव के इनकार के पीछे वजह बड़ी साफ है. उन्होंने एमपी में कांग्रेस से सिर्फ 7 सीटें मांगी थी. कांग्रेस के इनकार के बाद सपा के साथ जुबानी जंग भी हुई. बहरहाल, अब नतीजा सामने है. एमपी में सपा को NOTA से भी कम वोट मिले, जबकि कांग्रेस की करारी हार हुई. इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि अब कई लोगों का तापमान कम हो गया होगा. उनका इशारा कांग्रेस की ओर था. अनुमान है कि अब अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस को सिंगल डिजिट सीटों तक ही सीमित रखेंगे. यही सपा के लिए INDIA गठबंधन में बने रहने की सबसे बड़ी शर्त होगी.
नीतीश कुमार और JDU भी INDIA में अहम भूमिका के लिए जोर लगा रहे हैं. JDU सांसद केसी त्यागी ने तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद साफ कह दिया कि नीतीश कुमार को INDIA गठबंधन का चेहरा बनाना चाहिए. JDU की ओर से ऐसी मांग इसलिए की गई है क्योंकि पटना में नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश को कामयाब बनाया था. लेकिन, उसके बाद बेंगलुरु और मुंबई दोनों मीटिंग में कांग्रेस ने INDIA की बैठकों की कमान अपने हाथों में ले ली थी.
यहां तक कि संयोजन वाली कमेटी में भी तेजस्वी का नाम था, नीतीश का नहीं. लिहाजा मौका देखकर JDU ने चौका मार दिया है. अब इतना तो तय है कि JDU INDIA गठबंधन की एक डोर अपने हाथ में रखना चाहता है. ताकि सभी दलों से उसकी सियासी दोस्ती हो सके और ‘मौक़ा’ पड़ने पर वो बड़ी भूमिका में आ सकें.
ममता बनर्जी की सारी सियासी बुनियाद कांग्रेस और लेफ्ट के विरोध पर टिकी है. उन्होंने पश्चिम बंगाल में 2014 (34) से लेकर 2019 (22) तक लगातार BJP से लड़ाई लड़ी है. विधानसभा से लेकर लोकसभा तक TMC बंगाल में सबसे मजबूत स्थिति में है. ऐसे में वो कांग्रेस और लेफ़्ट के साथ मिलकर अपनी किसी भी तरह की हिस्सेदारी में बंटवारा नहीं करना चाहेगी. इस बात के संकेत ममता पहले ही दे चुकी हैं. इसके अलावा वो कांग्रेस को ‘बड़ा भाई’ मानने के लिए राजी नहीं हैं. इसीलिए उन्होंने भी फिलहाल महागठबंधन की मीटिंग से दूरी बना ली है. ममता भी बंगाल में कुछ अहम शर्तों के बाद ही INDIA में अपनी भूमिका तय करेंगी.
कांग्रेस के लिए ‘चौथी बैठक’ सबसे बड़ी चुनौती!
2024 के लिए देशभर में फ्रंट पर रहकर चुनावी बैटिंग के लिए कांग्रेस खुद को तैयार करने की कोशिश कर रही है. लेकिन, इसमें सबसे बड़ा पेंच ये है कि उसे जनमानस के बीच स्वीकार्यता से पहले ‘अपनों’ के बीच सर्वस्वीकार्य होना पड़ेगा. अगर INDIA महागठबंधन की चौथी बैठक में सपा, JDU और TMC जैसे बड़े दलों के मुखिया नहीं पहुंचे, तो 2024 का चुनाव शुरू होने से पहले ही ये लड़ाई विपक्ष हार जाएगा.
चौथी बैठक दिल्ली में होनी थी, लेकिन अब वो कब होगी, इसके बारे में कुछ भी तय नहीं है. कांग्रेस इस मीटिंग के बारे में अकेले फैसला नहीं ले सकती. उसे सपा, JDU और TMC के साथ बातचीत की टेबल तक जाना होगा. पहले कांग्रेस इन अहम दलों से बात करेगी, फिर आगे की रणनीति तय होगी. क्योंकि, 80 सीटों वाले यूपी में सपा के साथ के बिना, 40 सीटों वाले बिहार में JDU-RJD के बिना और 42 सीटों वाले बंगाल में ममता बनर्जी के बिना कांग्रेस 272 के सामूहिक विजय के आंकड़े के करीब तक भी नहीं पहुंच सकती.
लिहाजा कांग्रेस को अपनी हार के सही कारणों के साथ नाराज़ दलों से बात करनी होगी. उन्हें फिर एकजुट करके साथ लाने की क़वायद करनी होगी. सीटों के बंटवारे में नरमी दिखानी होगी क्योंकि कांग्रेस भले ही देशभर में विपक्ष का चेहरा हो, लेकिन राज्यों में INDIA’ के जिन दलों की ज़मीन मजबूत है, उन्हें नाराज करके कांग्रेस आंकड़ों के भंवर में अपनी नाव को 100 नंबर तक भी नहीं ले जा पाएगी.