Tuesday, 10 October 2023 00:00
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आईआईटी दिल्ली में आयोजित फैशन शो में आई दिल्ली यूनिवर्सिटी के भारती कॉलेज की छात्राओं का अश्लील वीडियो बनाने का मामला सामने आया है. आरोप है कि यह छात्राएं वॉशरूम में कपड़े चेंज कर रही थीं, इसी दौरान यहां तैनात एक सफाईकर्मी ने अपने मोबाइल फोन से वीडियो बनाया. हालांकि छात्राओं ने आरोपी को मौके पर ही रंगे हाथ पकड़ लिया था.
आईआईटी दिल्ली में आयोजित फैशन फेस्ट में शामिल होने आईं छात्राओं का अश्लील वीडियो बनाने का मामला सामने आया है. आरोप है कि यह छात्राएं वॉशरूम में कपड़े चेंज कर रही थीं. इसी दौरान एक सफाईकर्मी ने अपने मोबाइल फोन से वीडियो बनाने का प्रयास किया. संयोग ठीक था कि मौके पर मौजूद अन्य छात्राओं ने देख लिया और आरोपी को रंगे हाथ पकड़ कर पुलिस को सूचना दे दी. किशनगढ़ पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर जेल भेज दिया है.
पुलिस के मुताबिक आरोपी की पहचान मंगलापुर पालम में रहने वाले सफाई कर्मी आकाश के रूप में हुई है. वह आईआईटी दिल्ली में आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में तैनात था. यह वारदात शुक्रवार का है. पुलिस ने बताया कि आईआईटी में आयोजित फैशन शो में हिस्सा लेने के लिए डीयू में भारती कॉलेज की 10 छात्राएं आईं थी. शो के दौरान यह छात्राएं वॉशरूम में कपड़े चेंज करने गई थीं. इसी दौरान एक युवक चुपके से इनका वीडियो बनाने लगा. अचानक से एक छात्रा की नजर आरोपी पर गई तो उसने शोर मचाया.
इसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने आरोपी को पकड़ लिया. लोगों ने आरोपी के मोबाइल को चेक किया और उसमें वीडियो मिलते ही लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है. उधर, मामले की जानकारी मिलने पर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने कड़ी आपत्ति की है.
डूसू के अध्यक्ष तुषार डेढ़ा ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. वहीं, एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली के प्रभारी नीतीश गौर ने भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उधर, छात्राओं ने इंस्टाग्राम पर आपबीती बताई है. कहा कि शौचालय के बाहर किसी महिला सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं थी. कहा कि घटना के तुरंत बाद आरोपी को अरेस्ट कर लिया गया था, लेकिन आईआईटी प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कराने में देरी की. यहां तक कि जो मोबाइल फोन उन लोगों ने सौंपा था, पुलिस की बरामदगी में नहीं था. बल्कि पुलिस के पास कोई और ही फोन था.