Wednesday, 22 November 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
जिस व्यक्ति को लगभग 3 साल पहले 409/467/468/471/120 बी भादंवि व धारा-13(1) सपठिन धारा-13(2) भ्र0नि0अधि0 1988 जैसे गंभीर धाराओं में ई0ओ0डब्लूओ0 की पुनर्विवेचना में दोषी करार दिया गया हो... माननीय न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करने की बात कही जा रही हो...उस व्यक्ति के खिलाफ पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष, मध्यांचल के प्रबन्ध निदेशक सहित राज्य सरकार भी कोई कारवाई पहीं कर पा रही है, कहीं ... यह सब इसलिए तो नहीं की अभियुक्त भ्रष्टाचारी उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष के करीबी है और उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष एम देवराज के बहुत करीबी हैं ऐसी चर्चा विभाग से ले कर सत्ता के गलियारो तक मे है तभी तो छोटी छोटी गलतियो पर लोगो को बर्खास्त करने वाले अध्यक्ष अपने ही करीबी को कुछ नही कहते शायद इसमे किसी तरह का हित छुपा होगा, लेकिन नवनियुक्त अध्यक्ष आशीष गोयल क्यों खामोश है ...
लखनऊ। मध्यांचल विद्युत वितरण मे भ्रष्टाचार किस तरह से सिर चढ कर बोलता है, इसका अंदाजा आप सिर्फ इसी बात से लगा सकते है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी की विद्युत आपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार लेसा के सिस गोमती के अन्तर्गत विद्युत वितरण खण्ड सेस द्वितीय मे हुए घोटाला में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन द्वारा लगभग 30 साल पहले धारा- 409 /467/ 468/ 471/ 120 बी भादंवि व धारा-13(1) सपठिन धारा-13(2) भ्र0नि0अधि0 1988 के अन्तर्गत ई0ओ0डब्लू की पुनर्विवेचना आख्या में दोषी होने के बाद भी विद्युत नगरीय वितरण मंडल प्रथम के अधीक्षण अभियंता जैसे महत्वपूर्ण पोस्ट पर तैनाती दे दी जाती है, दुर्भाग्य यह है कि जिस अधिकारी को जेल मे होना चाहिए था... उसे मलाईदार पोस्टिग मिलती है वो भी राजधानी लखनऊ के दिल कहे जाने वाली सर्किल वन मे, जिसके अधीन राजभवन, अमीनाबाद व हुसैनगंज जैसे महत्वपूर्ण विद्युत नगरीय वितरण खंड है, जिसके अंतर्गत लगभग 22 उपकेंद्र है...
बताते चलें कि अपर पुलिस महानिदेशक, आर्थिक अपराध अनुसन्धान संगठन, उप्र लखनऊ ने पत्र संख्या -ईओडब्लू- अन्वे0-11/2011, दिनांक- 22.05.2020 को बताया कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम, लेसा के अन्तर्गत विद्युत वितरण खण्ड सेस द्वितीय में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन द्वारा की गई जॉच की पुनर्विवेचना आख्या में राम प्रकाश केन, तत्कालीन अधिशाषी अभियन्ता को दोषी करार देते हुए समस्त विधिक औपचारिकतायें पूर्ण करते हुए आरोप-पत्र न्यायालय में प्रेषित करने को कहा, लेकिन आरोप पत्र प्रेषित करना तो दूर, विगत 3 साल में सर्किल नव से स्थानांतरण करते हुए सर्किल वन जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर पोस्टिंग दे दी जाती है, आखिर क्यों?
आखिर क्यों ई0ओ0डब्ल्यू जांच में दोषी भ्रष्टाचारी राम प्रकाश केन जैसे अधिकारी को सर्किल वन में अधीक्षण अभियंता जैसे महत्वपूर्ण पद पर बने हुए हैं अथवा हो सकता है कि इस भ्रष्टाचारी को और भी अच्छी मलाईदार पोस्टिग दे कर सम्मानित कर दिया जाये।
देखना यह भी है कि ईओडब्ल्यू जांच में आरोप-पत्र न्यायालय में दाखिल करने की अनुमति शासन द्वारा स्वीकार कर लेने के बाद भी संस्तुतिनुसार दोषी अभियुक्त के विरूद्ध औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए न्याय संगत धाराओं में आरोप पत्र माननीय न्यायालय में प्रेषित किया जाता है कि नहीं।