Tuesday, 24 October 2023 00:00
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ओडिशा सीएम के निजी सचिव आईएएस वी.के. पांडियन ने वीआरएस ले लिया है. वह सीएम नवीन पटनायक के बेहद करीबी माने जाते हैं. अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका अहम होगी. वह 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने ओडिशा कैडर की आईएएस सुताजा रौत शादी की है.
आईएएस अधिकारी वी.के. पांडियन ने वीआरएस ले लिया है. वह ओडिशा सीएम नवीन पटनायक के निजी सचिव के पद पर कार्यरत थे. वह 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय ने तैनात हुए और वह तब से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे. वहीं पद से हटने के बाद पूर्व आईएएस अधिकारी को कैबिनेट मंत्री की दर्जा दिया गया है और 5टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वह सीएम के सबसे करीबी माने जाते हैं. आइए जानते हैं कि सीएम के निजी सचिव रहते हुए उन्होंने ऐसा क्या किया जिससे राज्य में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई और उनकी गिनती नवीट पटनायक के सबसे करीबी लोगों में होने लगी.
राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. मुख्यमंत्री के बेहद करीबी सहयोगी माने जाने वाले पूर्व आईएएस पांडियन अक्सर विवादों में भी रहे हैं. विपक्षी दलों का पांडियन पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक लाभ पाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. ओडिशा सरकार के प्रशासनिक विभाग को लिखे एक पत्र में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा कि पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित नोटिस अवधि की छूट के साथ स्वीकार कर लिया गया है. वहीं वीआरएस लेने के बाद राज्य में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि वह मौजूदा सीएम के राजनीतिक वारिस हो सकते हैं.
कौन हैं IAS पांडियन?
पांडियन ओडिशा कैडर के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 49 वर्षीय पांडियन तमिल हैं और पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. इन्होंने ओडिशा कैडर की आईएएस अधिकारी सुजाता रौत से शादी की है. शादी के बाद उनकी मांग पर उनका कैडर बदलकर ओडिशा कर दिया गया. उन्हें 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ के सब-कलेक्टर के पद पर तैनात किया गया था. उन्हें 2005 में मयूरभंज का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया था और फिर 2007 में पांडियन को गंजम का जिलाधिकारी बनाया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गंजम में तैनाती के दौरान ही वह सीएम के करीब बन गए थे. सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर उनके 10 लाख के करीब फॉलोअर्स हैं.
2011 में सीएम कार्यालय में मिली नियुक्ति
पांडियन को 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त किया है और तब से वह सीएम नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे. पटनायक के 2019 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पांडियन को सरकारी विभागों में कुछ परिवर्तनकारी योजनाओं को लागू करने के लिए ‘5टी सचिव’ की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी.
विवादों से है पुराना नाता
इसके बाद पांडियन ने राज्य का दौरा किया और जन शिकायतें सुनने के लिए 190 बैठकें की थीं. उन्होंने अपने दौरे के लिए सरकारी हेलीकाॅप्टर का इस्तेमाल किया था. जिसके बाद विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की थी. विपक्षी दलों ने उन्हें आधिकारिक रूप से बीजू जनता दल में शामिल होने का भी आरोप लगाया था. कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उल्का ने कहा कि अगर पांडियन अगले चुनाव से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाल लेते हैं, तो उन्हें जरा भी आश्चर्य नहीं होगा.
वीआरएस पर क्या कहा विपक्षा दलों ने?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एसएस सलुजा ने वीआरएस लेने के पांडियन के फैसले का स्वागत किया. साथ ही उन्होंने ने कहा कि यह पांडियन को पहले कर लेना चाहिए था. हम नहीं जानते कि वह राजनीति में आएंगे या अपने राज्य लौट जाएंगे. हालांकि यदि वह बीजद में शामिल होते हैं तो यह विपक्ष के लिए खासतौर पर कांग्रेस के लिए मददगार साबित होगा. भाजपा के मुख्य सचेतक मोहन मांझी ने कहा कि पांडियन ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इस्तीफा दिया है. वहीं उन्होंने कहा कि अब वह अपने चेहरे पर नौकरशाह के नकाब के बिना खुलकर राजनीति कर सकेंगे. उन्हें ओडिशा की जनता स्वीकार नहीं करेगी.