Sunday, 15 October 2023 00:00
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उत्तर प्रदेश पावर कारपोरशन के नए फरमान पर संविदा कर्मियों को हटाने के लिए अब प्रबन्ध निदेशक की अनुमति लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई। अब यह अधिकार सम्बन्धित सर्किल के अधीक्षण अभियन्ता को सौपी गई है, जिससे यह साफ हो गया कि संविदा कर्मचारीयों की नौकरी अब अधीक्षण अभियन्ता के हरमो करम पर ही टिकी है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरशन संविदा कर्मचारियों खासतौर से वो फिल्ड स्टाफ डयूटी पर आते ही जो हर वक्त हाईटेशन लाइनों से रूबरू होने का खतरा उठाते हैं और कई बार डयूटी के दौरान ही ऐसी ही हाइटेशन लाइन का शिकार होकर दुनिया को अलविदा तक कह जाते हैं। ऐसे ही खतरे भरी नौकरी करने वाले उत्तर प्रदेश पावर कारपोरशन के करीब एक लाख संविदा कर्मियों की नौकरी पर हर वक्त खतरे में रहेगी। या यूं कहें कि संविदा कर्मियों की नौकरी अब अधीक्षण अभियंता के रहमो करम पर आ टिकी है। इससे पहले यह व्यवस्था नहीं थी। किसी भी संविदा कर्मी को हटाना कोई आसान काम नहीं था। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया प्रयोग में आती थी, लेकिन अब जो नया फरमान जारी किया गया है उसके अनुसार अधीक्षण अभियंता की कलम को संविदा कर्मियों को हटाने की पावर मिल गयी है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में संविदा कर्मियों या कहें आउट सोर्स से जो भी स्टाफ रखा जाता था, उसकी सेवाएं समाप्त करने की पावर केवल प्रबंध निदेशक की होती थी। यहां तक कि आउटसोर्स कंपनी के अफसर यदि मनमानी करते हुए किसी कर्मचारी को हटाना भी चाहे तो भी उसको हटा नहीं सकते थे, उसके लिए एक तय प्रक्रिया थी, जिसके तहत निविदाकर्मी की पहले अवर अभियन्ता या उपखण्ड अधिकारी सीधे अधीक्षण अभियंता को शिकायत करते थे। अधीक्षण अभियंता उसकी शिकायत के साथ अपनी रिकमंड प्रबन्ध निदेशक को भेजा करते थे। यह प्रबन्ध निदेशक पर निर्भर करता था कि संविदा कर्मी को हटा देना है माफ कर देना है। यह प्रक्रिया इतनी जटील व लंबी होती थी कि आमतौर पर आउट सोर्स कर्मचारी को हटाने का इक्का दुक्का मामला ही सामने आता था।
नए फरमान में से अधीक्षण अभियंता को मिला नई ताकत
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के 21 सितंबर के प्रबंध निदेशक (का. प्र. एवं प्रशा.) मृगांक शेखर के आदेश में कहा गया है कि आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से नियोजित आउटसोर्स कंर्मियों को नियोजित संबंधित वितरण निगम के प्रबंध निदेशक से बिना अनुमोदन प्राप्त किए आउटसोर्स कंपनी को वापस न किए जाने का आदेश पारित किया गया था। उक्त के संबंध मे आंशिक संशोधन करते हुए आदेशित किया जाता है कि डिस्कामों में आउटसोर्स कर्मियों को आवश्यकतानुसार हटाए जाने हेतु प्रबंध निदेशक के स्थान पर डिस्कॉम के संबंधित कान्टेक्ट इंजीनियर अर्थात अधीक्षण अभियंता अधिकृत होंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
इक्कीस सितंबर को प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर से जारी इस फरमान के बाद उत्तर प्रदेश पावर कारपोरशन के करीब एक लाख संविदा यानि आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी पर हर वक्त अब खतरा मंडराएगा। निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति अध्यक्ष ठाकुर भूपेन्द्र सिंह तोमर ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर यह आदेश स्वीकार्य नहीं है। उत्तर प्रदेश के यूपी पावार कारपोरेशन में वर्तमान में एक लाख के करीब संविदा कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं, लेकिन इस आदेश के बाद उनका काम यानि नौकरी जोखिम में आ गयी है। इसको लेकर विरोध करते हुए एक पत्र प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन को भेजा गया है।